भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक को फैराडे पदक से किया गया सम्मानित

भारत में 5जी से लोगों की जिंदगी बदल सकती है। मसलन, गांव में बैठा व्यक्ति रियल टाइम में दिल्ली के बड़े अस्पताल में बैठे डॉक्टर से इलाज करा सकेगा। यह मानना है स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर और भारतीय मूल के प्रसिद्ध अमेरिकी वैज्ञानिक आरोग्यस्वामी पॉलराज का। पॉलराज को उनकी खोज ‘MIMO वायरलैस’ के लिए फैराडे पदक से सम्मानित किया गया है। MIMO वायरलैस 4जी और 5जी मोबाइल के साथ-साथ वाई-फाई वायरलेस नेटवर्क में मदद करने वाली तकनीक है।

1944 में तमिलनाडु के पोल्लाची में जन्मे पॉलराज 16 साल की उम्र में भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे और 1965 में उन्हें कमीशन मिला था। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में जाने से पहले 25 साल तक सेवा की।

पॉलराज को पिछले सप्ताहांत लंदन में एक समारोह में यह पदक दिया गया। इसके साथ ही वह इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले 100वें व्यक्ति बन गए। इस पुरस्कार को पाने के बाद पॉलराज ने मीडिया से कहा कि यह सम्मान मिलने से गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मेरा मानना ​​है कि अवसर सृजन के मामले में डिजिटल पहुंच वास्तव में अहम है। 5जी के जरिए भारत के पास स्पष्ट रूप से तकनीक इंडस्ट्री में प्रवेश करने और सफल होने की क्षमता है।

बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में अहम योगदान निभाने वाले वैज्ञानिकों को दिया जाने वाला फैराडे पदक दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। पॉलराज का कहना है कि इस इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए कई बाधाएं हैं। आने वाले समय में भारत को सफल रास्ता तैयार करने के लिए उद्योग की सभी गतिविधियों को अच्छी तरह से समझना होगा।

MIMO (मल्टीपल इन, मल्टीपल आउट) वायरलेस तकनीक 4जी, 5जी मोबाइल और वाईफाई नेटवर्क को संचालित करती है। जिसमें हाई-स्पीड वायरलेस एक्सेस की क्रांति, 6.5 अरब स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं और अन्य 12 अरब व्यक्तिगत और मशीन-प्रकार के उपकरणों को इंटरनेट से जोड़ना शामिल है।

इंटरनेट के लिए सर्वव्यापी ब्रॉडबैंड वायरलेस कनेक्शन, MIMO के बिना संभव नहीं होगा। मोबाइल और वाईफाई उद्योग समूहों के अनुसार, MIMO-संचालित वायरलेस नेटवर्क का वैश्विक आर्थिक मूल्य 2022 में 7.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था।

पॉलराज को MIMO प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के लिए कई वैश्विक सम्मान मिले हैं। वह भारत और अमेरिका के अनुसंधान और विकास इकोसिस्टम में कई सलाहकार समितियों में भी काम करते हैं, जिसमें भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन के साथ फैबलेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में काम करना शामिल है।