कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के प्रोफेसर डॉ. मनीष बुट्टे की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है। इस टीम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की तरफ से करीब 63 करोड़ रुपये दिए गए हैं। अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि एक भारतीय मूल के डॉक्टर को आखिर इतने पैसे क्यों दिए गए हैं। दरअसल, डॉक्टर मनीष एक बीमारी का इलाज ढूंढने में लगे हैं। आज से करीब 200 साल पहले अर्जेंटीना में एक बीमारी का पता चला था। यह एक प्रकार का बुखार है जो फंगस से फैलता है। इसे ‘वेली फीवर’ का नाम दिया गया। इस बीमारी का सटीक इलाज ढूंढने के लिए अमेरिकी सरकार यह पैसा खर्च कर रही है।
मिली जानकारी के अनुसार आज के समय में दक्षिण अमेरिका सहित अमेरिका के कई हिस्सों में इस बीमारी से पीड़ित मरीज मिले हैं। आमतौर पर यह बुखार होने पर कई मरीज कुछ दिनों में अपने आप ठीक भी हो जाते हैं। कई मामलों में दवाई भी दी जाती है। लेकिन यह इतना खतरनाक है कि इसके गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। अब डॉक्टर मनीष और उनकी टीम इस बात का पता लगाएगी कि कुछ लोग जब इस बीमारी से पीड़ित होते हैं तो वे थोड़े दिन में अपने आप ठीक भी हो जाते हैं। कुछ मरीज हल्की फुल्की दवाई खाकर चंगे हो जाते हैं। लेकिन आखिर क्या वजह है कि इस बुखार से पीड़ित कई लोगों की मौत जाती है। डॉ. मनीष इस बात पर शोध करेंगे कि इस बीमारी की अवस्था में शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता किस तरीके से प्रतिक्रिया करती है।