द नेशनल एकेडेमिक्स ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन ने अखिलेश लखटकिया को 2022-23 जेफरसन साइंस फेलो क्लास के 14 सदस्यों में शामिल किया है। लखटकिया इवान प्यू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। अमेरिकी गृह विभाग और अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए एजेंसी की ओर से यह प्रोग्राम साल 2003 में शुरू किया गया था।
यह अमेरिकी एकेडेमिक साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मेडिकल समुदायों को देश की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय विकास से जोड़ने के लिए एक इनोवेटिव मॉडल की तरह काम करता है। इस दौरान लखटकिया ब्यूरो ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स में काम करेंगे। इस दौरान उनका ध्यान विशेष रूप से भारत पर रहेगा।

प्रो. लखटकिया ने इसे लेकर कहा कि मैं अमेरिका और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच स्थिरता पर केंद्रित सहकारी संबंधों को विकसित करने पर काम करने के लिए उत्साहित हूं। इन विशेष संबंधों को स्टेम (STEM) क्षेत्र में अनुसंधान से रिजनरेटिव संस्कृति बनाने के लिए भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का फायदा मिलेगा।
जेफरसन साइंस फेलो का चयन उनकी विशेषज्ञता से संबंधित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदायों में उनके कद, मान्यता और अनुभव के आधार पर किया जाता है। नई वैज्ञानिक प्रगति को समझने, अनुवाद करने और नीतिगत चर्चाओं पर उनके प्रभाव के साथ आम जनता के लिए ऐसी जानकारी स्पष्ट करने की उनकी क्षमता भी देखी जाती है।
बता दें कि अखिलेश लखटकिया का जन्म एक जुलाई 1957 को भारत के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई लखनऊ और नई दिल्ली में पूरी हुई थी। इसके बाद उन्होंने वाराणसी में स्थित आईआईटी बीएचयू (IIT-BHU) से साल 1979 में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की थी।
1981 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ यूटाह से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस और 1983 में मास्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री हासिल की थी। उनके 840 से ज्यादा जर्नल लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वह ऑनलाइन जर्नल ऑफ नैनोफोटोनिक्स (Journal of Nanophotonics) के पहले मुख्य संपादक (2007 से 2013) भी रहे थे।