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Spelling Bee 2022: 90 सेकंड में 21 शब्दों की स्पेलिंग बताकर आठवीं की छात्रा हरिणि बनी विजेता

हरिणि ने सातवीं कक्षा के भारतीय मूल के छात्र विक्रम राजू को हराकर विजय हासिल की। प्रतियोगिता के 13वें और 18वें राउंड के बीच दोनों प्रतिभागियों ने दो शब्दों की गलत स्पेलिंग बताई थी। इसके बाद जजों ने स्पेल ऑफ कराने का फैसला किया।

2022 स्क्रिप्स नेशनल स्पेलिंग बी प्रतियोगिता में भारतीय मूल का हरिणि लोगन ने जीत हासिल की है। टेक्सास (अमेरिका) की रहने वाली आठवीं कक्षा की छात्रा हरिणि ने एक स्पेल ऑफ में ज्यादा शब्दों की सही स्पेलिंग बता कर खिताब अपने नाम किया। साल 1925 में इस प्रतियोगिता की शुरुआत होने के बाद इस बार पहली बार स्पेल ऑफ की स्थिति बनी।

हरिणि ने सातवीं कक्षा के भारतीय मूल के छात्र विक्रम राजू को हराकर विजय हासिल की। प्रतियोगिता के 13वें और 18वें राउंड के बीच दोनों प्रतिभागियों ने दो शब्दों की गलत स्पेलिंग बताई थी। इसके बाद जजों ने स्पेल ऑफ कराने का फैसला किया। इसके तहत दोनों प्रतिभागियों को 90 सेकंड का समय दिया गया। इस अवधि में उन्हें अधिक से अधिक शब्दों की सही स्पेलिंग बतानी थी।

स्पेल ऑफ में हरिणि लोगन ने 21 शब्दों की सही स्पेलिंग बताई। वहीं, विक्रम राजू केवल 15 शब्दों की सही स्पेलिंग बता पाए। फाइनल्स में हरिणि एलिमिनेट भी हो गई थीं। लेकिन जजों ने बाद में फैसला किया कि उनका दिया गया शब्द Pullulation स्वीकार्य था। स्पेलिंग बी प्रतियोगिता में हरिणि की यह चौथी और अंतिम एंट्री थी। विक्रम राजू ने अगली बार फिर प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की बात कही।

अमेरिका में स्क्रिप्स नेशनल स्पेलिंग बी प्रतियोगिता का आयोजन हर साल किया जाता है। इसमें हिस्सा लेने वाले छात्रों को दिए गए शब्दों का उच्चारण करना होता है। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को पूरे अमेरिका में बड़ी संख्या में छात्र और उनके माता-पिता बारीकी से देखते हैं। साल 2021 में चैंपियन के लिए 50,000 डॉलर (लगभग 3.38 लाख रुपये) का इनाम रखा गया था।

इस प्रतियोगिता में भारतीय मूल के छात्रों का हमेशा दबदबा रहा है। हालांकि पिछले साल जाइला अवांतगार्ड ने इसमें जीत हासिल कर यह सिलसिला तोड़ा था। जाइला यह खिलाब जीतने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी प्रतिभागी थीं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कोरोना के चलते 2020 में पहली बार यह प्रतियोगिता आयोजित नहीं हुई थी। साल 2019 में इस प्रतियोगिता के आठ सह विजेता थे, जिनमें से सात भारतीय-अमेरिकी थे।

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