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डॉ. रेड्डी के शोध को US में मिला पेटेंट कोविड के प्रसार को रोक पाएगा!

भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. एमएस रेड्डी ने कोविड के प्रसार को रोकने के लिए अपनी शोध पद्धति के लिए पेटेंट हासिल किया है। रेड्डी का कहना है कि वायरल आरएनए (RNA) को निष्क्रिय करके हम कोविड वायरस के प्रसार पर लगाम लगा सकते हैं।

Photo by Mufid Majnun / Unsplash

कई भारतीय जो अमेरिका में बस गए हैं, उन्होंने अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया है। उनमें से एक हैं डॉ. मलीरेड्डी श्रीनिवासुलु (एमएस) रेड्डी। भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. एमएस रेड्डी ने कोविड के प्रसार को रोकने के लिए अपनी शोध पद्धति के लिए पेटेंट हासिल किया है। डॉ. रेड्डी के पास 150 अमेरिकी पेटेंट हैं। उन्होंने कोविड महामारी को नियंत्रित करने के लिए एक विधि की खोज की है। शनिवार को भारत के हैदराबाद में जारी एक प्रेस नोट में इसका खुलासा किया गया है।

डॉ. मलीरेड्डी श्रीनिवासुलु रेड्डी का कहना है कि वायरल आरएनए (RNA) को निष्क्रिय करके हम कोविड वायरस के प्रसार पर लगाम लगा सकते हैं। इससे भविष्य में हम कोविड जैसे जानलेवा वायरस को फैलने से पहले नियंत्रित कर सकते हैं। डॉ. रेड्डी ने अमेरिकी पेटेंट विभाग के साथ इस पद्धति पर पेटेंट के लिए पंजीकरण किया है। अमेरिकी सरकार ने हाल ही में इस विषय पर उनको एक पेटेंट प्रदान किया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे पता चला है कि हम आरएनए (RNA) और डीएनए (DNA) को निष्क्रिय करके वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं। इस दिशा में सोचने और समाधान खोजने के लिए डॉ. रेड्डी के लिए अलग-अलग वर्गों से सराहना मिल रही है।

नेल्लोर के रहने वाले और अमेरिका में बसे डॉ. रेड्डी को कई पेटेंट मिले हैं। उन्होंने तिरुपति में एपी कृषि विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की है। उन्होंने अमेरिका स्थित आयोवा विश्वविद्यालय से एमएस पीएचडी डिग्री हासिल की। उन्होंने खाद्य प्रौद्योगिकी, जीवाणु विज्ञान और वायरोलॉजी में अपना उच्च अध्ययन किया। वर्तमान में वह अमेरिकी डेयरी और खाद्य परामर्श प्रयोगशालाओं और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और संस्कृतियों के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं।

डॉ. रेड्डी को उनके शोध कार्यक्रमों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। डॉ. रेड्डी की प्रसिद्धि माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में एक विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक के रूप में है। उन्हें 160 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। अमेरिका में अपने शोध कार्य के लिए उन्हें कई पेटेंट मिले हैं। पनीर पर उनके शोध ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया और उन्हें 'पनीर रेड्डी' के रूप में जाना जाता है।

उन्हें 150 से अधिक अमेरिकी पेटेंट मिले हैं। उन्होंने वैज्ञानिक पत्रिकाओं और 30 से अधिक ई-पत्रिकाओं और विभिन्न पुस्तकों में 140 से अधिक लेख लिखे हैं। डॉ. रेड्डी कई संगठनों के लिए अध्यक्ष और सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। अमेरिका में प्रसिद्ध तेलुगु एसोसिएशन, नाटा ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। डॉ. रेड्डी को विश्व स्तर पर विज्ञान में उनके योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए 9 से अधिक बार नामांकित किया गया है।  I

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