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भारत में 2030 तक हर चौथी मौत हृदय रोग के कारण होगी, विशेषज्ञ ने बताई वजह

अध्ययनों में पाया गया है कि पश्चिम के लोगों की तुलना में भारतीयों में हृदय रोग की समस्या कम से कम 10 साल पहले शुरू हो जाती है।

प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.सी.एन मंजूनाथ ने चेतावनी दी है कि 2030 तक दुनिया में सबसे अधिक हृदय गति से मरने वाले मौतों की संख्या में भारत सबसे आगे होगा। डॉक्टर सीएन मंजूनाथ ने HAL के डॉक्टरों के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन 'एचएएल मेडिकॉन 2022' को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत में 2030 तक कुल मिलाकर लगभग हर चौथी मौत हृदय रोग के कारण होगी।

उन्होंने कहा कि युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं और यह चिंताजनक है। श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के निदेशक मंजूनाथ ने इस खतरे का मुकाबला करने के लिए एक समग्र एकीकृत दृष्टिकोण का आह्वान किया। इसके अलावा उन्होंने तनाव प्रबंधन और स्वस्थ जीवन शैली की आदतों में सुधार को लेकर भी चर्चा की।

उनके बयान विभिन्न अध्ययनों के अनुरूप हैं जिसमें बताया गया है कि खासकर युवाओं में सांस की बीमारी और हृदय संबंधी बीमारियों के कारण मौतें बढ़ रही हैं। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारतीयों में हृदय रोग की समस्या कम उम्र से ही देखने को मिलती है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पश्चिम के लोगों की तुलना में भारतीयों में हृदय रोग की समस्या कम से कम 10 साल पहले शुरू हो जाती है। यह जीवन शैली, मधुमेह, शराब की बढ़ती खपत, धूम्रपान और उच्च रक्तचाप के चलते होता है।

कई अध्ययनों से पता चला है कि कोरोना वायरस दिल में प्रवेश कर सकता है और दिल की अंदरूनी परत को संक्रमित कर सकता है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। इस सिंड्रोम को मायोकार्डिटिस कहा जाता है। पिछले दो वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां मरीज को कोविड-19 से रिकवरी के वक्त स्ट्रोक आया। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोविड-19 के बाद पहले दो हफ्तों में दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।

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