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खालिस्तानी उत्पात के बाद भारत-ब्रिटेन ने सुरक्षा सहयोग पर किया मंथन

खालिस्तान समर्थकों के भारतीय दूतावासों पर मचाए गए उत्पात के बाद ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी और ब्रिटेन के सुरक्षा राज्य मंत्री टॉम तुगेंदत ने द्विपक्षीय सुरक्षा-सहयोग पर चर्चा की है।

भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी और ब्रिटेन के मंत्री टॉम तुगेंदत.

ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी और ब्रिटेन के सुरक्षा राज्य मंत्री टॉम तुगेंदत ने गुरुवार को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और व्यापक सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की। ब्रिटेन में भारत के उच्चायोग ने एक ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी दी है।

दोरईस्वामी ने हाल ही में रॉयल मिलिट्री अकादमी, सैंडहर्स्ट में कमांडेंट मेजर जनरल जैक स्टेनिंग ओबीई से मुलाकात की थी और व्यावसायिक सैन्य शिक्षा क्षेत्र में अंतर्क्रियाओं पर चर्चा की। इस मुलाकात के बार में दोराईस्वामी ने ट्वीट करके बताया कि कमांडेंट मेजर जनरल जैक स्टेनिंग ओबीई से व्यावसायिक सैन्य शिक्षा क्षेत्र में अंतर्क्रियाओं पर सकारात्मक चर्चा हुई है।

बताया गया कि भारत और ब्रिटेन के परस्पर संबंध मैत्रीपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच हाल ही में यंग प्रोफेशनल स्कीम पर हस्ताक्षर किए गए हैं। विक्रम दोरईस्वामी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम लंदन में भारतीय उच्चायोग में हुआ। बताया गया कि इस योजना के बारे में अधिक विवरण और कार्यान्वयन तिथियां जल्द ही साझा की जाएंगी।

गौरतलब है कि तीन दिन पहले खालिस्तानी समर्थकों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमला किया था जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और उच्चायोग व कर्मियों की सुरक्षा पर सवाल उठाया था। इसके बाद बुधवार (22 मार्च) को फिर से खालिस्तानी समर्थकों ने उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया। हालांकि पिछली बार की स्थिति को भांपते हुए उच्चायोग की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया और बैरिकेड्स लगा दिए गए थे।

23 मार्च को ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में भारतीय उच्चायोग में खालिस्तान समर्थकों की तोड़फोड़ का मुद्दा उठा। ब्रिटिश सांसदों ने खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।

निचले सदन में जब यह मुद्दा उठा तो कैबिनेट मंत्री पेनी मॉरडॉन्ट ने कहा कि हम लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हुई तोड़फोड़ और हिंसक कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं। उच्चायोग और उसके कर्मचारियों के खिलाफ इस तरह के कृत्य पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।

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