साल 1947 में मध्यप्रदेश के रामानुज प्रताप सिंह देव ने भारत में दर्ज आखिरी तीन चीतों को मार दिया था। 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया था। इसके बाद अब जाकर भारत को चीता मिलने वाले हैं। दरअसल भारत और नामीबिया ने एक एमओयू यानी महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि चार नर और चार मादा चीतों का पहला जत्था अगस्त में नामीबिया से आएगा। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कुनो-पालपुर नेशनल पार्क (केएनपी) में दुनिया के सबसे तेज भागने वाले जानवर को एक नया घर मिलेगा।