रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से जहां एक तरफ शेष दुनिया ने रूस से दूरी बनाई, वहीं भारत ने अपने पुराने दोस्त का साथ नहीं छोड़ा। इसका भारत को लाभ यहे हुआ कि रूस ने उसे सस्ते दामों पर तेल मुहैया कराया जबकि दुश्मन देशों को रूसी मुद्रा में भी कच्चा तेल खरीदने पर विवश कर दिया। खबर है कि इसी दोस्ताना व्यवहार की मदद से भारत ने 35 हजार करोड़ रुपये की बचत की है।
मालूम हो कि यूक्रेन पर युद्ध के बाद से ही पश्चिमी देशों ने मॉस्को से संबंध न रखने को लेकर कई बार भारत पर दबाव डाला था लेकिन भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव की अनदेखी करते हुए देश-हित में रूस से तेल खरीदना जारी रखा।