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भारतीय मूल के गरीब बच्चों को भी सुनहरा भविष्य दे रहा है हिंदुस्तान

विदेश मंत्रालय प्रवासियों की भागीदारी बढ़ाने, उन्हें उनकी संस्कृति से जोड़े रखने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है। इसके तहत SPDC कार्यक्रम की शुरुआत 2006-07 में हुई। इसका उद्देश्य भारतीय मूल के बच्चों के लिए भारत के विश्वविद्यालयों या अन्य संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना आसान बनाना था।

Photo by David Kennedy / Unsplash

भारत एक ऐसा देश है जो न केवल अपनी परिधि के अंदर रहने वाले बच्चों के अलावा विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने में लगा हुआ है। विदेशों में रहने वाले ऐसे भारतीय परिवार, जिनकी आय कम है, उनके लाडलों को महंगी उच्च शिक्षा में मदद के लिए भारत ने स्कॉलरशिप प्रोग्राम फॉर डायस्पोरा चिल्ड्रेन (SPDC) कार्यक्रम की शुरुआत की। इस प्रोग्राम से न केवल मेधावी बच्चों को भारत के बेहतरीन संस्थानों में पढ़ने का अवसर मिल रहा है बल्कि वे अपनी मूल संस्कृति से भी जुड़ रहे हैं।

मंत्रालय के अनुसार, इसका उद्देश्य भारतीय मूल के बच्चों के लिए भारत के विश्वविद्यालयों या अन्य संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना आसान बनाना था।

भारतीय डिग्री के लिए छात्रवृत्ति क्यों?

इस प्रोग्राम का एक उद्देश्य जहां विदेशों में धन के अभाव में पढ़ाई बीच में छोड़ देने वाले बच्चों की मदद करना है, वहीं दूसरा लक्ष्य भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों को प्रचारित करना है। यानी जब ये बच्चे पढ़कर निकलेंगे तो अपनी मेधा से न केवल भारत का नाम रोशन करेंगे, बल्कि इससे हमारे शिक्षण संस्थानों का प्रचार विदेशों में होगा। यह योजना पढ़े लिखे पेशेवरों के बच्चों के साथ ही खाड़ी देशों के भारतीय मूल के कामगारों के बच्चों को भी समान अवसर देता है और उनके लिए अलग से सीट भी आरक्षित है।

तो आखिर क्या है SPDC योजना

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