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राफेल मसला: ऑफसेट देरी पर भारत ने दसॉल्ट एविएशन पर ठोका जुर्माना

सीएजी की एक रिपोर्ट ने इस तथ्य की आलोचना की थी कि राफेल सौदे में ऑफसेट का अधिकतम निर्वहन एमबीडीए द्वारा 57% और दसॉल्ट द्वारा 58% केवल सातवें वर्ष (2023) के लिए तय है।

Photo by Vincent Genevay / Unsplash

भारत ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन पर ऑफसेट देरी को लेकर जुर्माना लगाया है। 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 7.8 अरब यूरो (करीब 8.8 अरब डॉलर) के सौदे में ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में देरी के लिए जुर्माना लगाया है। डिफॉल्ट आयुध की बड़ी कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए बनाई गई नई नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है। भारत शीर्ष रक्षा सूत्रों ने कहा कि मिसाइल निर्माता एमबीडीए से जुर्माना वसूला गया है, जो दसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल जेट के लिए हथियार पैकेज आपूर्तिकर्ता है।

भारत और फ्रांस बीच राफेल डील सितंबर 2016 में हुई थी। यह डील लगभग 59 करोड़ रुपये की थी, जिसमें 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति भारत को की जानी थी। भारत ने फ्रांस के साथ समझौते और हथियारों के लिए आपूर्ति प्रोटोकॉल के अलावा, दसॉल्ट के साथ एक बड़ा ऑफसेट अनुबंध और अपने सहयोगी एमबीडीए के साथ एक छोटा अनुबंध भी किया था। इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट के 50 फीसदी (लगभग 30,000 करोड़ रुपये) को भारत में ऑफसेट या दोबारा निवेश के तौर इस्तेमाल करने की जरूरत थी। यह ऑफसेट क्लॉज डील होने के दिन से सात वर्षों तक के लिए था। लेकिन एमबीडीए पर सितंबर 2019-सितंबर 2020 से पहले लागू वर्ष के लिए अपने ऑफसेट दायित्वों का निर्वहन करने में चूक के बाद जुर्माना लगाया गया है।

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