इस्राइल-हमास युद्ध से भारत के हस्तशिल्पियों को 250 करोड़ का घाटा!
इजराइल-हमास युद्ध से भारत के हस्तशिल्पी नुकसान में हैं। युद्ध से 250 करोड़ का हस्तशिल्प निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। इसकी वजह यह है कि भारत में चल रही हस्तशिल्प एवं उपहार प्रदर्शनी में युद्ध के कारण इजराइल से खरीदार नहीं आ सके। हालांकि जब प्रदर्शनी शुरू होने वाली थी तो आयोजकों की ओर से 100 देशों से करीब पांच हजार खरीदारों के आने का दावा किया गया था।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH) के अनुसार इजराइल-हमास टकराव के कारण लगभग 35 से 40 खरीदार भारत नहीं आ सके। हालांकि इस वर्ष अन्य देशों से आने वाले खरीदारों की संख्या बढ़ी है, मगर युद्धग्रस्त देश के खरीदार नहीं आ सकें। प्रदर्शनी का सोमवार को अंतिम दिन है। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि 250 करोड़ के जिस घाटे की बात की जा रही है उसे इस शिल्प प्रदर्शनी के संदर्भ में ही कहा जा रहा है। यह आशंका या आकलन पूरे भारत के संदर्भ में नहीं है।
कार्बन उत्सर्जन मानकों पर कड़ा रुख
अमेरिका और यूरोपीय देशों के बाजारों ने कार्बन उत्सर्जन मानकों के प्रति बेहद कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। भारत, चीन, सिंगापुर, इंडोनेशिया जैसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों से खरीदी जाने वाली सामग्रियों का निर्माण पर्यावरण संतुलन मानकों के अनुसार करने के निर्देश दिए हैं। अमेरिका ने जहां सस्टेनेबिलिटी पर जोर दिया है तो यूरोप अपनी जनवरी 2026 कार्बन उत्सर्जन पॉलिसी को लागू करने जा रहा है। अब यदि कार्बन फुट प्रिंट मानक से अधिक होंगे तो भारी ड्यूटी अदा करनी होगी।
यूरोपीय कार्बन उत्सर्जन पॉलिसी 2026 लागू होने से पहले भारत का EPCH कार्बन फुट प्रिंट कम करने की तैयारी में लग गया है। पॉलिसी के अनुसार हस्तशिल्प उत्पादों को बनाने में बिजली, पानी, जीवाश्म ईंधन का उपयोग मानक से अधिक हुआ तो उतनी ही भारी ड्यूटी देनी पड़ेगी। पॉलिसी को लेकर अभी प्रदर्शकों में भ्रम की स्थिति है। इसकी जानकारी के लिए जल्द ही विशेषज्ञ सेशन आयोजित किए जाएंगे। हस्तशिल्प उत्पादों का लगभग 70 प्रतिशत निर्यात यूरोप और अमेरिका में होता है।
टिकाऊ उत्पादों पर अधिक ध्यान
EPCH के अध्यक्ष दिलीप वैद्य ने बताया कि यूरोप और अमेरिकी देशों की ओर से इस वर्ष मांग के अनुसार टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों पर प्रदर्शकों का अधिक जोर है। प्रदर्शनी में इसी थीम पर उत्पाद प्रदर्शित किये गये हैं।