गीता गोपीनाथ ने भारत को वैश्विक विकास का इंजन इसलिए बताया
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पहली उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने रविवार को कहा कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भारत का योगदान करीब 15 प्रतिशत है। एक विशेष साक्षात्कार में अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने यह भी कहा कि भारत वर्तमान अनुमानों के आधार पर 2027-28 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। गीता ने भारत को 'वैश्विक विकास का इंजन' बताया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी बहुत काम करने की जरूरत है। गीता गोपीनाथ ने भारत की G20 अध्यक्षता पर भी बात की और कहा कि यह बहुत बड़ी बात है कि घोषणापत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
A few takeaways from India’s successful @g20org presidency. pic.twitter.com/ELEWUmvm5J
— Gita Gopinath (@GitaGopinath) September 10, 2023
गीता के मुताबिक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगले चार या पांच साल में कई और वर्षों तक उच्च वृद्धि की रफ्तार बनाए रखी जाए। इसके लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता होगी। भारत एक बड़ा देश है। भले ही हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हों, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह एक छोटी संख्या होगी। इसलिए भारत को वृद्धि की गति को और अधिक बनाए रखने के लिए इस मोर्चे पर जोर देते रहने की जरूरत है।
Thanks to the great efforts of Minister @nsitharaman during India's G20 presidency the world has a unified perspective on dealing with crypto assets, significant progress was made on MDB reforms & on debt issues through India's joint leadership of the Sovereign Debt Roundtable. pic.twitter.com/a7KMTggahS
— Gita Gopinath (@GitaGopinath) September 10, 2023
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की अनुमानित वृद्धि दर छह प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है। अर्थशास्त्री के अनुसार, विकास को गति देने वाले दो कारक सार्वजनिक निवेश और लचीला उपभोग खर्च हैं। गोपीनाथ ने प्रति व्यक्ति आय के स्तर को बढ़ाने और विकास के उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए निजी निवेश को आकर्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
Congratulations Prime Minister @narendramodi
— Gita Gopinath (@GitaGopinath) September 9, 2023
on presiding over such a successful @g20org. India's message of 'one earth, one family, one future' resonated strongly with all delegates. pic.twitter.com/wM5CD603OT
उन्होंने कहा कि निजी निवेश के लिए माहौल तैयार करने के लिए यह जरूरी है कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में निवेश जारी रहे। अर्थशास्त्री ने कहा कि केवल चार भारतीय राज्यों - महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और दिल्ली को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा हिस्सा मिलता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के स्तर पर बहुत कुछ किया जाना है।
गीता गोपीनाथ के अनुसार जिन अन्य क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है, उनमें व्यापार करने में आसानी, शिक्षा और महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ाना शामिल है। गीता ने कहा कि अन्य देशों की तुलना में भारत जिस क्षेत्र में सबसे अलग है, वह है डिजिटल बुनियादी ढांचा।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत वास्तव में इस क्षेत्र में सबसे आगे है। इसने न केवल नवाचार में बल्कि राजकोषीय मोर्चे पर भी अधिक कुशल खर्च, राजस्व एकत्र करने की क्षमता, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के मामले में पहले ही लाभ देखा है। उन्होंने कहा कि जब डिजिटल बुनियादी ढांचे की बात आती है तो अन्य देश इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि भारत क्या कर रहा है।
चीन की अर्थव्यवस्था के बारे में गीता गोपीनाथ ने कहा कि उसकी अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है, लेकिन उसके पास चीजों को बदलने के लिए संसाधन हैं। लेकिन कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें रातोंरात नहीं बदला जा सकता है। अर्थशास्त्री ने कहा कि चीन अभी भी 5 प्रतिशत की वृद्धि के लक्ष्य को पूरा कर सकता है जो सरकार ने तय किया है। उन्होंने कहा लेकिन मध्यम अवधि में चीन की वृद्धि दर करीब 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसा नहीं है कि हम बहुत गहरी मंदी या तेज मंदी देखने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन बस विकास धीमा हो रहा है।
इसके साथ ही गीता गोपीनाथ ने भारत की G20 अध्यक्षता पर कहा कि यह बहुत बड़ी बात है कि घोषणापत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। उन्होंने कहा कि यह आपको बताता है कि भले ही दुनिया जिस तरह से आगे बढ़ रही है, उसके बारे में देशों की अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन वे वास्तव में एक साथ आ सकते हैं और एक घोषणा कर सकते हैं, जो मुझे लगता है कि एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना है।