न्यू जर्सी (अमेरिका) के रॉबिंसविले में मौजूद स्वामीनारायण अक्षरधाम में BAPS स्वामीनारायण अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में उपस्थित होने के लिए सैकड़ों स्वामी और भक्त एक 'सत्संग दीक्षा होमात्मक पाठ' में भाग लेने के लिए एकत्रित हुए। इस अनोखे यज्ञ में पवित्र अग्नि के समक्ष सत्संग दीक्षा के चुनिंदा छंदों का पाठ किया गया जिसके बाद सभी को प्रसाद भी दिया गया। कार्यक्रम का आयोजन हाल ही में किया गया था।

शोध संस्थान की शुभ शुरुआत के साथ ही विश्व शांति की प्रार्थना के लिए यज्ञ किया गया। बच्चों ने वैदिक शांति प्रार्थना गाई और संस्कृत छंदों का पाठ किया। हजारों लोगों ने व्यक्तिगत रूप से और उत्तरी अमेरिका और दुनिया भर में लाइव प्रसारण के माध्यम से समारोह में हिस्सा लिया। परम पावन महंत स्वामी महाराज भारत के राज्य गुजरात के अहमदाबाद से समारोह में शामिल हुए और दुनिया भर में ज्ञान के प्रकाश के प्रसार के प्रतीक के रूप में उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित करके संस्थान का उद्घाटन किया।

बाद में न्यू जर्सी में मौजूद विधानसभा के सदस्यों द्वारा दीये जलाए गए। सभा को संबोधित करते हुए महंत स्वामी महाराज ने कहा कि योगीजी महाराज ने ऐसे ही संस्थान की कल्पना की थी। वह युवाओं को संस्कृत सिखाने और प्रवचन देने की शिक्षा देना चाहते थे। शोध संस्थान ने इस विजन को पूरा किया है। छात्र अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता प्राप्त करें और दुनिया भर में एकता के दायरे का विस्तार करते हुए समाज की सेवा करने के लिए मिलकर काम करें। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना जिसका अर्थ है कि दुनिया एक परिवार है के साथ आइए वैश्विक सद्भाव के दायरे का विस्तार करने के लिए काम करें।

बता दें कि यह आयोजन 50 से अधिक हिंदू मंदिरों और संगठनों के अलावा 115 से अधिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति में हुआ। BAPS स्वामीनारायण अनुसंधान संस्थान अमेरिका में स्वामीनारायण परंपरा में भारतीय भाषाओं और हिंदू शास्त्रों के अध्ययन और अनुसंधान का पहला केंद्र है।
मालूम हो कि BAPS स्वामीनारायण संस्था एक आध्यात्मिक स्वयंसेवी-संचालित संगठन है जो आस्था, एकता और निस्वार्थ सेवा के हिंदू आदर्शों को बढ़ावा देकर व्यक्तिगत विकास के माध्यम से समाज को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। इसके 3,800 केंद्रों का विश्वव्यापी नेटवर्क है। वहीं महंत स्वामी महाराज भगवान स्वामीनारायण के छठे और वर्तमान आध्यात्मिक उत्तराधिकारी हैं। उन्हें 1961 में योगीजी महाराज द्वारा स्वामी नियुक्त किया गया था और उनका नाम साधु केशवजीवनदास रखा गया था। जैसे ही उन्हें मुंबई में मंदिर का प्रमुख यानी महंत नियुक्त किया गया, उन्हें महंत स्वामी के नाम से जाना जाने लगा। 2016 में प्रमुख स्वामी महाराज के निधन पर महंत स्वामी महाराज BAPS के गुरु और अध्यक्ष बने।