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ऑस्ट्रेलिया में भी वोट पाने की कड़ी मशक्कत, धार्मिक स्थलों की 'गणेश परिक्रमा' में लग गए हैं नेता!

ऑस्ट्रेलिया के मंत्री द बेसिन के श्री वक्रतुंड विनयागर मंदिर में समुदाय केंद्र बनाने का वादा कर रहे हैं। उनका कहना है कि हिंदू केंद्र बन जाने से हर साल कम से कम 70 हजार श्रद्धालु मंदिर दर्शन कर पाएंगे। दूसरी ओर फेडरल लिबरल के सांसद बेन मॉर्टन भी गुरुद्वारों के लिए अनुदान देने का वादा कर रहे हैं।

21 मई को ऑस्ट्रेलिया में चुनाव होने हैं जिससे स्कॉट मॉरिसन के भविष्य का फैसला होगा

चुनावी मौसम में केवल भारत ही एकमात्र देश नहीं है जहां नेता मंदिर की दौड़ लगाना शुरू कर देते हैं अब भारत के मित्र राष्ट्र ऑस्ट्रेलिया में भी राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों को मंदिर और गुरुद्वारे से बड़ी उम्मीद नजर आ रही है। हिंदू और सिख वोटरों को लुभाने के प्रयास के तहत यहां के शिक्षा मंत्री और एस्टन के सांसद ने वादा किया है कि अगर 21 मई को उनकी सरकार सत्ता में वापस लौटती है तो वे देश के मंदिरों और गुरुद्वारों को 3.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर (करीब 20 करोड़ रुपये) का अनुदान देंगे।

मॉरिसन लौटे सत्ता में तो बनेगा 'हिंदू हब'

उल्लेखनीय है कि पीएम स्कॉट मॉरिसन ऑस्ट्रेलिया में गठबंधन सरकार चला रहे हैं। उनकी लिबरल पार्टी के नेता और शिक्षा मंत्री एलन टज ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया है कि अगर मॉरीसन की सरकार फिर से चुनी गई तो इस राशि में से एक बड़ा हिस्सा द बेसिन  के श्री वक्रतुंड विनयागर मंदिर में हिंदू समुदाय का केंद्र बनाने में खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक बार हिंदू केंद्र बन जाने से हर साल कम से कम 70 हजार श्रद्धालु मंदिर दर्शन कर पाएंगे।

द बेसिन में मौजूद वक्रतुंड मंदिर (फोटो साभार : मंदिर का फेसबुक पेज)

एलन एकमात्र सत्ताधारी सांसद नहीं हैं जो हिंदुओं को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं, उधर लोक सेवा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे फेडरल लिबरल के सांसद बेन मॉर्टन ने गुरुद्वारा असोसिएशन को 1 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर  (5.6 करोड़ रुपये) का अनुदान देने का वादा किया। इस धनराशि को देश के सभी गुरुद्वारों पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने 'हिंदू हब' की तर्ज पर सिखों का एक केंद्र बनाने का वादा किया है। उन्होंने सिखों के साथ ही हिंदू वोट खींचने के प्रयास के तहत मंदिरों को भी मोटा अनुदान घोषित किया है। इन दिनों यह सांसद धार्मिक स्थलों का दौरा भी कर रहे हैं।

सत्तारूढ़ सरकार ने गुरुद्वारे को अनुदान देने का भी वादा किया है (फोटो साभार : ऑस्ट्रेलियन गुरुद्वारा असोसिएशन)

ऑस्ट्रेलिया में 21 अप्रैल को संघीय चुनाव आयोजित कराया जाएगा जिससे यह तय होगा कि मॉरिसन दूसरी पारी खेल पाते हैं या नहीं। मॉरीसन ने अगस्त 2018 में लिबरल पार्टी के लीडर चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री पद हासिल किया था। वहीं, चुनाव पूर्व हुए ओपिनियन पोल में उनकी सरकार पिछड़ती नजर आ रही है।

आपको बता दें कि 2.5 करोड़ जनसंख्या वाले ऑस्ट्रेलिया में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। अगर धार्मिक आधार पर जनसंख्या को देखें तो यहां करीब 4.5 लाख हिंदू और 1.25 लाख सिख समुदाय के लोग रहते हैं। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के मंत्रियों के 'टेम्पल रन' की वजह को समझा जा सकता है।

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