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अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करे अमेरिका व भारत: CoHNA

संगठन ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को उनके अपने देश में विनाश या दासता के बीच रहने को मजबूर किया गया है। उनका इतिहास मिटा दिया गया है और उनका भविष्य खतरे में डाल दिया गया है।

उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के संगठन (CoHNA) ने संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत की सरकारों से अफगानिस्तान के लोगों, खासतौर से धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने का आग्रह किया है। संगठन ने कहा, "वह अफगानिस्तान के संकटग्रस्त लोगों, विशेष रूप से इसके धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ खड़ा है।" उसने तालिबान के कब्जे के बाद अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लेकर चिंता जताई है।

संगठन ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को उनके अपने देश में विनाश या दासता के बीच रहने को मजबूर किया गया है। उनका इतिहास मिटा दिया गया है और उनका भविष्य खतरे में डाल दिया गया है। संगठन ने कहा, "काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अल्पसंख्यक अपने धर्म के कारण निशाना बनाए जा सकते हैं। आशंका है कि तालिबान शासन में धार्मिक अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए मौलिक अधिकार खतरे में आ जाएंगे।"

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