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'काबुल गुरुद्वारा हमला: बेदर्दी से मारा था सविंदर सिंह को आतंकवादियों ने

काबुल में जन्मे पुपेंद्र सिंह ने कहा कि वे एक अफगान सिख परिवार थे और सविंदर सिंह और परिवार के कई अन्य सदस्य सभी अफगानिस्तान में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं। वह 2010 में भारत चले गए थे और वह तभी से दिल्ली के जनकपुरी में एक शरणार्थी बस्ती में रहते हैं।

काबुल के गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले में दो अफगानी नागरिक मारे गए थे। इनमें से एक सिख व्यक्ति की मौत को लेकर भारत में बसे उनके ही एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि उनकी मौत कैसे और कब हुई। काबुल के में गुरुद्वारा 'कार्ते परवान' में हमले में मारे गए अफगान सिख व्यक्ति के रिश्तेदार ने बताया कि उनका जीजा नहा रहा था जब उसे कई बार घातक रूप से गोली मार दी गई थी। यह गोलीबारी शनिवार को हुई थी।

मारे गए सविंदर सिंह के दिल्ली में बसे परिवार के प्रियजन शोक मना रहे हैं। पत्नी सदमे में है, जबकि उनके सविंदर सिंह के साले 36 वर्षीय पुपेंद्र सिंह ने उन घटनाओं के क्रम को साझा करते हुए बताया कि मेरे बहनोई काबुल में एक दुकान चलाते थे और गुरुद्वारा 'कार्ते परवान' में 'सेवा' भी करते थे व गुरुद्वारा के ही परिसर में एक कमरे में रहते थे। मुझे कल सुबह काबुल से मेरे छोटे भाई का फोन आया कि गुरुद्वारा पर हमला हुआ है। वह अपने दोस्त के साथ जलालाबाद जा रहा था कि तभी उसने टैक्सी चालक से कहा कि वे उन्हें वापस काबुल ले जाएं।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी आज दिल्ली में मौजूद परिवार से मिलने पहुंचे।

काबुल में जन्मे पुपेंद्र सिंह ने कहा कि वे एक अफगान सिख परिवार थे और सविंदर सिंह और परिवार के कई अन्य सदस्य सभी अफगानिस्तान में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं। पुपेंद्र सिंह ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जब मेरा भाई काबुल पहुंचा तब तक तालिबानी सेनाएं आ चुकी थीं और वे इलाके में आगे बढ़ रही थी। कई विस्फोटों ने गुरुद्वारे को नष्ट कर दिया था। मेरे भाई ने तब हमारे बहनोई का शव देखा और मुझे सूचित किया कि 'वो शहीद हो गए हैं'।

उन्होंने बताया कि हमारे पास उसके गोलियों से छलनी शरीर की तस्वीरें और वीडियो हैं। उसकी छाती पर दो जगहों पर और एक पैर पर भी गोली के निशान हैं। उसे कई बार गोली मारी गई थी। मुझे काबुल में बसे मेरे भाई से यह जानकारी मिली है कि बाथरूम में नहाते समय उसे गोली मारी गई है। क्योंकि स्नान घर का दरवाजा भी टूटा हुआ मिला है।

बता दें कि 2018 में भी सिखों पर पूर्वी शहर जलालाबाद में एक सभा पर हमला किया था। ऐसे ही 2020 में एक अन्य गुरुद्वारे पर हमला हुआ था। पुपेंद्र सिंह ने बताया कि उनके मामा साल 2018 के हमले में मारे गए थे। पुपेंद्र ने बताया कि वह 2010 में भारत चले गए थे और वह तभी से दिल्ली के जनकपुरी में एक शरणार्थी बस्ती में रहते हैं।

उन्होंने कहा कि परिवार चाहता था कि सविंदर सिंह भी भारत लौट आए। खासकर अगस्त 2021 से जब तालिबान के सत्ता में आने के बाद से स्थिति और अधिक कठिन हो गई है। पुपेंद्र सिंह ने बताया कि चूंकि उनके पास वीजा नहीं था ऐसे में वह अपने लिए टिकट बुक नहीं करा सके। भारतीय अधिकारियों और तालिबान अधिकारियों ने हाल ही में बातचीत की थी और वह उम्मीद कर रहे थे कि महीने के अंत तक वीजा जारी किया जा सकता है। लेकिन भाग्य कुछ और ही था।

बता दें कि भारत ने ​हमले के तुरंत बाद अफगा​निस्तान में बसे 111 सिखों और हिंदूओं के लिए ई-वीजा कर दिया है। भारत के गृह मंत्रालय ने इन लोगों को इलेक्ट्रॉनिक वीजा प्राथमिकता के आधार पर दिया है।

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