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विशेष लेखः गुलामी से भरी मानसिकता हमें जड़ों से दूर करती है

मैं यह नहीं कहना चाहता कि भारतीयों व अमेरिकियों के अनेक व्यवहार उल्टे हैं, बल्कि यह कहना चाहूंगा कि भारतीयों में अंग्रेजों की ग़ुलामी के बाद जो परिवर्तन आए वे अमेरिका में प्रचलित दैनिक व्यवहारों के विपरीत हो गए।

अमेरिका यात्रा-अंक -12

वाशिंगटन डीसी के डलास एयरपोर्ट से बाहर आने लगा। स्वागत सदन में एम्बेसी के प्रोटोकोल प्रतिनिधि श्रीनिवास चिल्का मुस्कराते हुए सामने खड़े थे, बोले आप डॉ. मोक्षराज जी हैं ? उनके ये शब्द मेरे लिए किसी मधुर संगीत से कम नहीं थे। मैंने कहा- जी, सही पहचाना, मैं ही हूं। इस प्रकार अमेरिका की धरती पर स्वागत के लिए खड़े श्रीनिवास जी मेरे पहले परिचित व्यक्ति बन गए। एयर इंडिया के जिस विमान से मैं आया था उसी में चांसरी प्रमुख श्री मृदुपवनदास भी थे किन्तु उनसे पूर्व परिचय न होने के कारण हमारा कोई संवाद नहीं हो सका था। संक्षिप्त संवाद कार में ही हुआ।

एयरपोर्ट वर्जीनिया राज्य की सीमा में था जहां से वाशिंगटन डीसी का रास्ता लगभग 30 मिनट का है।

हरा-भरा अमेरीका

एयरपोर्ट वर्जीनिया राज्य की सीमा में था जहां से वाशिंगटन डीसी का रास्ता लगभग 30 मिनट का है। कार एयरपोर्ट से बाहर आई और दोनों ओर स्थित हरे भरे उत्तुंग वृक्षों से सजी स्वच्छ सड़कों पर दौड़ने लगी। इस रास्ते पर लगे घने वृक्षों एवं यातायात नियमों का पालन करते हुए तीव्र गति से चल रहे अनुवर्ती वाहनों को देखकर मैं अपने देश की हरियाली व यातायात नियमों की तुलना कर रहा था।

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