विदेश से अनुदान नहीं ले सकेगा केयर इंडिया, भारत सरकार ने लगाई रोक
गरीबी और सामाजिक बहिष्कार जैसी समस्याओं के निदान के लिए पिछले सात दशकों से भारत में काम कर रहे एनजीओ केयर इंडिया का विदेशी फंडिंग लाइसेंस भारत सरकार ने रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के कथित उल्लंघन के आरोप में ये कदम उठाया है।
केयर इंडिया एनजीओ बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, वर्ल्ड बैंक, मलाला फंड और यूएसएआईडी जैसे भागीदारों के साथ मिलकर काम करता है। केयर इंडिया का दावा है कि 2021-22 में उसके 21 भारतीय राज्यों में 90 परियोजनाएं चल रही थीं, जिनके माध्यम से 8.42 करोड़ लोग जुड़े हुए थे। एनजीओ ने 2013 में स्वतंत्र संस्था के रूप में कामकाज शुरू किया था। बाद में वह केयर इंटरनेशनल कन्फेडरेशन का सदस्य बन गया, जिसकी 111 देशों में उपस्थिति है।
एनजीओ का लाइसेंस पिछली बार 1 अक्टूबर 2022 से अगले 5 साल की अवधि के लिए नवीनीकृत किया गया था। एनजीओ को गृह मंत्रालय से जो नोटिस मिला है, उसमें एफसीआरए पंजीकरण 180 दिनों के लिए अस्थायी तौर पर निलंबित करने की बात कही गई है। एनजीओ का दावा है कि वह पूरी प्रतिबद्धता के साथ भारत में सेवाकार्य कर रहा है। वह हमेशा स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और आपदा प्रतिक्रिया प्रबंधन के क्षेत्रों में समग्र और स्थायी परिवर्तन लाने के लिए नियमों का पालन करता है।
गत 7 सितंबर 2022 में ऑक्सफैम इंडिया और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) जैसे अन्य प्रमुख गैर सरकारी संगठनों के साथ ही केयर इंडिया का भी टैक्स सर्वे किया गया था। ऑक्सफैम का एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू करने का अनुरोध पिछले साल खारिज हो गया था। सीपीआर का एफसीआरए पंजीकरण इसी आधार पर फरवरी में निलंबित किया जा चुका है।
2021-22 में केयर इंडिया को ऑडिटर से मिले प्रमाणपत्र में बताया गया है कि साल 2021-22 के दौरान उसे विदेशी योगदान के रूप में 377.5 करोड़ रुपये मिले थे। आरोप है कि केयर इंडिया ने गृह मंत्रालय से पूर्व अनुमति लिए बिना 28.3 करोड़ रुपये का विदेशी योगदान प्राप्त किया था। ये पैसा स्थानीय फंड के लिए बने एक बैंक खाते में आया था, जो एफसीआरए की धारा 17 (1) का उल्लंघन है।
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