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पोप फ्रांसिस ने घोषित किए 21 नए कार्डिनल, दो भारतीयों को भी मिला ये पद

21 नए कार्डिनल में दो भारतीयों को शामिल करने के बाद भारत के ईसाई मतावलंबियों में उत्साह का माहौल है। आर्कबिशप फेराराओ का जन्म 20 जनवरी 1953 को पणजी के समीप एल्डोना गांव में हुआ जबकि आर्कबिशप एंथनी पूला (60) का जन्म 15 नवंबर 1961 को कुरनूल के पोलुरु में हुआ था।

इस साल अगस्त में वेटिकन सिटी में आयोजित होने वाले एक समारोह में पोप फ्रांसिस चर्च के 21 सदस्यों को कार्डिनल के पद पर प्रोन्नत करेंगे। इनमें दो भारतीय भी शामिल हैं। भारत के दो कार्डिनल में आर्कबिशप ऑफ गोवा एवं दमाओ फिलिप नेरी एंटोनियो सेबेस्टियाओ डी रोजेरियो फेराराओ और आर्कबिशप डि हैदराबाद आर्कबिशप एंथनी पूला शामिल हैं।

पोप ने कहा कि 27 अगस्त को ‘कंसिस्टरी’ समारोह का आयोजन किया जाएगा। Photo by Kai Pilger / Unsplash

आर्कबिशप फेराराओ का जन्म 20 जनवरी 1953 को पणजी के समीप एल्डोना गांव में हुआ जबकि आर्कबिशप एंथनी पूला (60) का जन्म 15 नवंबर 1961 को आंध्रप्रदेश स्थित कर्नूल के पोलुरु में हुआ था। कार्डिनल बनने वाले चर्च के सदस्यों में दो भारत के, जबकि एक-एक मंगोलिया, घाना, नाइजीरिया, सिंगापुर, पूर्वी तिमोर, पराग्वे और ब्राजील के होंगे।

पोप फ्रांसिस ने सेंट पीटर्स स्क्वायर में रविवार के अपने पारंपरिक संबोधन के अंत में नए कार्डिनल के नामों की घोषणा की। इनमें से कम से कम 16 नए कार्डिनल की उम्र 80 साल से कम है, जिससे वे गुप्त सम्मेलन में अगले पोप के चयन के लिए मतदान करने के पात्र होंगे। पोप ने कहा कि 27 अगस्त को ‘कंसिस्टरी’ समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसे चर्च के सदस्यों को कार्डिनल के रूप में पदोन्नत करने वाले समारोह के तौर पर जाना जाता है।

देश के ईसाई धर्म के अनुयायियों में उत्साह

21 नए कार्डिनल में दो भारतीयों को शामिल करने के बाद भारत के ईसाई मतावलंबियों में उत्साह का माहौल है। वरिष्ठ पत्रकार कामिल पारखे ने कहा कि यह घोषणा भारत के ईसाई समुदाय के लिए बड़े गर्व की बात है। इससे पता चलता है देश में उल्लेखनीय संख्या में चर्च संस्थाएं हैं और ‘यूनिवर्सल कैथोलिक चर्च’ में भारतीय चर्च की अहम भूमिका है।

कौन होते हैं कार्डिनल

कार्डिनल (शाब्दिक रूप से 'पवित्र रोमन चर्च का कार्डिनल') कैथोलिक चर्च के पादरियों के वरिष्ठ सदस्य होते हैं, जो प्राथमिकता के क्रम में पोप के ठीक पीछ माने जाते है। सामूहिक रूप से वे कार्डिनल्स के 'कॉलेज' का गठन करते हैं। उन्हें जीवनभर के लिए नियुक्त किया जाता है। उनकी सबसे गंभीर जिम्मेदारी विशेष सम्मेलन में एक नए पोप का चुनाव करना होता है।  

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