ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा (GKPD) ने हाल ही में एक वैश्विक सार्वजनिक कार्यक्रम में ऐतिहासिक होमलैंड घोषणापत्र जारी किया और अपने दो वर्ष तक चले अध्ययन के परिणाम जारी किए। इसमें प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय विद्वानों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कश्मीरी पंडितों की उनकी मातृभूमि लौटने के लिए न्यायसंगत और स्थायी तरीके पर अध्ययन किया था।
इस दौरान जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने और नौकरियों के पैकेज में प्रगति को लेकर वर्तमान भारत सरकार की सराहना की गई। लेकिन इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि राज्य ने कश्मीरी पंडितों के समुदाय को एक तरह से त्याग दिया है जो अब विलुप्त होने के संकट का सामना कर रहा है।
कश्मीरी पंडित डायस्पोरा ने कहा, हमें त्याग दिया गया है, विलुप्त हो रहे हैं हम
कश्मीरी पंडितों को पिछले 32 साल से अपनी सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ा है जबकि नरसंहार करने वालों ने जमकर आर्थिक लाभ कमाया है। जीकेपीडी टास्क फोर्स के अनुसार पैसे, जमीन, इमारतों, खेतों, कला, आजीविता और अन्य संपत्तियों में यह राशि 30 अरब डॉलर ( करीब 2249 अरब 43 करोड़ 30 लाख रुपये) रही है।
