गीत गवाई गीत, कहावतों और कहानियों का एक समृद्ध कलेक्शन है, जो बिहार से जुड़ा हुआ है। यह मौखिक रूप से मॉरीशस में रहने वाले भारतीयों को पीढ़ी दर पीढ़ी मिलता गया है।
मॉरीशस में बोली जाने वाली भोजपुरी एक समय आईलैंड पर बोली जानी वाली एकमात्र भाषा थी। सन 1834 में बिहार से 36 गिरमिटिया मजदूरों का पहला समूह चीनी (शुगर) बागानों में काम करने के लिए राजधानी पोर्ट लुइस पहुंचा था।
इन बागानों में चिलचिलाती धूप में लंबे समय तक काम करने वाले मजदूरों की जिंदगी काफी कठिन होती थी। तब महिलाएं इनके घर वापस आने पर यादों को ताजा करने और आराम महसूस कराने के लिए गीत गवाई का सहारा लेती थीं।
आमतौर पर गीत गवाई के दौरान महिलाएं 'लोटा' या तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल साउंड के रूप में करती थीं। वे इस दौरान चमचा और थाली भी बजाती थीं। यहां तक कि वे लकड़ी के टुकड़े, नारियल के खोल और टेराकोटा के बर्तनों का भी इस्तेमाल करती थीं।
गीत गवाई करने वाले महिलाओं के इस समूह को 1 दिसंबर 2016 को यूनेस्को द्वारा "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" के रूप में मान्यता दी गई थी।