Skip to content

अब दुनिया देखेगी भारत के तेजाब हमले की शिकार गीता के संघर्ष की कहानी

गीता का कहना है कि डॉक्यूमेंट्री में उनके पूरे जीवन की कहानी है। तेजाबी हमले की वजह से उनकी बेटी नीतू के सामने आई कई परेशानियों को इसमें दिखाया गया है।

वर्ष 1992 में भारत के आगरा की महिला पर तेजाब डालकर उसका पति भाग गया था। तेजाब हमले में उसकी तीन साल की बच्ची भी झुलस गई थी। लेकिन हमले के बाद अपनी बेटी के भाग्य को बदलने के लिए मां के दृढ़ संकल्प को भी दुनिया ने देखा। इस पर बनी एक जीवंत फिल्म 'गीता' की स्क्रीनिंग 30 मार्च को ऑस्ट्रेलिया स्थित मेलबर्न के एस्टोर सिनेमा में की जा रही है। इनके संघर्ष की कहानी अब दुनिया देखेगी।

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित एक एनजीओ ने गीता के संघर्ष पर यह फिल्म बनाई है।

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित एक एनजीओ ने गीता के संघर्ष पर यह फिल्म बनाई है। गीता माहोर अपनी छोटी बेटियों के साथ सो रही थी। उस दौरान उसका पति इंद्रजीत ने उन पर तेजाब फेंक दिया था। गीता गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। इस हमले में उनकी तीन साल की बेटी नीतू गंभीर रूप से झुलस गई थीं। नीतू को अपनी आंखें गंवानी पड़ी। बेटी कृष्णा की मौत हो गई। गीता को भी दिखना बंद हो गया था। पत्नी और बेटी की दर्द में चीखता छोड़ इंद्रजीत भाग गया था। इंद्रजीत ने हमले की वजह यह बताई कि वह अपने परिवार में लड़कियां नहीं चाहता था। लेकिन गीता ने हिम्मत नहीं हारी और तमाम संघर्षों का सामना कर अपनी बेटी को बड़ा किया।

This post is for paying subscribers only

Subscribe

Already have an account? Log in

Latest