खगोलशास्त्रियों के एक अंतर्राष्ट्रीय समूह ने वस्तुओं जैसे दिखने वाले 9 सितारों की एक विचित्र घटना का पता लगाया है जो एक फोटोग्राफिक प्लेट में आधे घंटे के भीतर एक छोटे क्षेत्र में दिखे और फिर गायब हो गए। इस खोज में स्वीडन, स्पेन, अमेरिका, यूक्रेन तथा भारत के वैज्ञानिक डॉ. आलोक सी.गुप्ता शामिल थे।

खगोलशास्त्रियों (astrologist) के एक अंतर्राष्ट्रीय समूह ने वस्तुओं जैसे दिखने वाले 9 तारों की एक विचित्र घटना का पता लगाया है जो कि छोटे क्षेत्र में दिखे और फिर गायब हो गए। खगोलशास्त्र के इतिहास में पहली बार एक ही समय में कथित तारों के दिखने और फिर गायब हो जाने को विचित्र घटना माना जा रहा है। तारों की इस खोजबीन और गायब होने की ‘जांच’ में स्वीडन, स्पेन, अमेरिका, यूक्रेन तथा भारत के एक वैज्ञानिक भी शामिल थे।
दुनियाभर के खगोलशास्त्रियों का एक समूह रात में आसमान की पुरानी छवियों की नई आधुनिक छवियों के साथ तुलना करने और गायब हो जाने, फिर दिखने वाली खगोलीय वस्तुओं को ट्रैक करते हैं। वे इसे एक अप्राकृतिक (unnatural) घटना के रूप में दर्ज करते हैं तथा ब्रह्मांड में बदलावों को रिकॉर्ड करने के लिए ऐसी घटनाओं की गहरी जांच करते हैं।
स्वीडन, स्पेन, अमेरिका, यूक्रेन तथा भारत के वैज्ञानिक डॉ. आलोक सी.गुप्ता ने फोटोग्राफी के आरंभिक रूप की जांच की, जिसमें 12 अप्रैल, 1950 से रात के आसमान के चित्र लेने के लिए ग्लास प्लेट का उपयोग किया गया और जिसे अमेरिका के कैलिफोर्निया के पालोमर वैधशाला में एक्सपोज़ कर इन क्षणिक तारों का पता लगाया गया, जो आधे घंटे के बाद तस्वीरों में गायब हो गए। तबसे उनका कोई पता नहीं चला। खगोलशास्त्र के इतिहास में पहली बार एक ही समय में ऐसी वस्तुओं के एक समूह के दिखने और फिर गायब हो जाने का पता चला।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायतशासी संस्थान आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेस (ऐरिज) के वैज्ञानिक डॉ. आलोक सी. गुप्ता ने इस अध्ययन (study) में भाग लिया, जिसे हाल ही में नेचर की ‘साइंसटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित किया गया। ये वैज्ञानिक अभी भी उन विचित्र क्षणिक तारों को देखे जाने के पीछे के कारणों की तलाश कर रहे हैं और वे अभी भी निश्चित नहीं हैं कि उनके दिखने और गायब हो जाने की आखिर वजह क्या थी।