भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष से 100 वर्ष तक के समय को सरकार ने 'अमृत काल' का नाम दिया है। इस अवधि के दौरान भारत को विकास के नए सफर पर ले जाने का संकल्प सरकार ने जताया है। और यह सफर विदेशों में बड़ी तादाद में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की अहम भागीदारी के बिना अधूरा है। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से अगले 25 सालों के दौरान देश की प्रगति में भागीदार बनने का अनुरोध किया है।

अमेरिका के दौरे पर पहुंचीं सीतारमण ने सिलिकॉन वैली में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत अगले 25 सालों में अपनी आजादी के सौ साल पूरा करने वाला है। वित्त मंत्रालय की तरफ से रविवार को किए गए एक ट्वीट के मुताबिक सीतारमण ने नए प्रयोग और अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीयों के योगदान पर रोशनी डाली। इस दौरान उन्होंने भारत सरकार की तरफ से किए गए संरचनात्मक सुधारों का भी जिक्र करते हुए भारतीय समुदाय से आजादी के अमृत काल का हिस्सा बनने का अनुरोध किया।
दरअसल, दुनिया की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर अनेक देशों के कानून और अर्थव्यवस्था में निर्णय लेने वाली संस्थाओं का प्रमुख हिस्सा बनने में भारतीय कामयाब रहे हैं। विदेशों में रहने वाले भारतीय आज जिस तरीके से एक नई ताकत के तौर पर अंतरराष्ट्रीय पटल पर उभरे हैं और अलग-अलग देशों में भारत के रिश्तों को लेकर उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है। ऐसे में भारत के विकास में इनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि देश के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान के महत्त्व को मान्यता देने और देश से जुड़ने के लिए भारत सरकार हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन करती है।

प्रवासी भारतीयों की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके द्वारा स्वदेश धन भेजने से जिस तरह बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भारत आती है, वह सालाना प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की राशि से भी अधिक होती है। यही कारण है कि वैश्विक कोरोना महामारी के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दिया है। दुनिया के करीब 200 देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय देश की महान पूंजी हैं। विश्व के समक्ष भारत का चमकता हुआ चेहरा हैं। ये विश्व मंच पर राष्ट्रीय हितों के हिमायती भी हैं।