अमेरिका के फ्लोरिडा में रहने वाले हिंदू समुदाय के लिए शुभ समाचार। दरअसल फ्लोरिडा के ब्रोवार्ड काउंटी ने इस साल नवंबर महीने को हिंदू विरासत माह के रूप में मान्यता दी है। ब्रोवार्ड काउंटी ने हिंदू धर्म के योग, आयुर्वेद, ध्यान, भोजन, संगीत और कला में योगदान को भी मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव को पास किया है।
यह प्रस्ताव कोएलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (COHNA) द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया गया है। CoHNA उत्तरी अमेरिका में हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाला एक संगठन है जो हिंदू समुदाय के हितों के पक्ष में खड़ा होता है।
ब्रोवार्ड काउंटी द्वारा जारी किए गए प्रस्ताव में लिखा है कि हिंदू धर्म दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने धर्मों में से एक है। इसके 100 से अधिक देशों में 1.2 बिलियन से अधिक अनुयायी हैं जो विभिन्न परंपराओं और विश्वास प्रणालियों की एक श्रृंखला को शामिल करता है। इसे सनातन धर्म भी कहा जाता है जो आपसी सम्मान, स्वतंत्रता और शांति के मूल मूल्यों को स्वीकार करता है।
प्रस्ताव में हिंदू धर्म के विश्व और संयुक्त राज्य अमेरिका में योगदान के बारे में बात की गई है। प्रस्ताव में आखिरी में लिखा गया है कि फ्लोरिडा का स्कूल बोर्ड ब्रोवार्ड काउंटी हिंदू समुदाय के महत्व और योगदान को पहचानने और मनाने के लिए ब्रोवार्ड काउंटी में नवंबर महीने को हिंदू विरासत माह के रूप में घोषित करता है।
बता दें कि प्रस्ताव में हिंदू धर्म में दिवाली के महत्व का भी उल्लेख किया गया है। यह प्रस्ताव COHNA द्वारा ब्रोवार्ड काउंटी में दिवाली को स्कूल की छुट्टी घोषित करने की मांग वाली एक याचिका के बाद आया है। CoHNA ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया कि हम अपने स्वयंसेवकों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने नेटवर्किंग फॉर हिंदू प्रोफेशनल्स और स्थानीय समुदाय के नेताओं के साथ मिलकर काम किया।
मालूम हो कि इस साल अप्रैल में जॉर्जिया ने हिंदूफोबिया की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। जॉर्जिया अमेरिका का पहला ऐसा राज्य बन गया था जिसने हिंदूफोबिया पर प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद मई में हिंदू और भारतीय अमेरिकी ओहियो राज्य के सीनेटर नीरत अंतानी ने भी हिंदूफोबिया की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया था। अंतानी इससे पहले फरवरी में अक्टूबर को 'हिंदू विरासत माह' घोषित करने के लिए प्रस्ताव पेश चुके थे।
यह घटनाक्रम सभी मोर्चों से हिंदू आस्था को निशाना बनाने वाले हिंदू विरोधी पैरवीकारों के सामने अपने धार्मिक अधिकारों को बनाए रखने में विदेशों में रहने वाले हिंदू समुदाय की बार-बार की जीत को दर्शाता है।