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खाड़ी देशों की फ्लाइट्स के बढ़े किराए को लेकर अप्रवासी पहुंचे हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया है कि लाभ की तर्कसंगतता को बनाए रखने के लिए कोई मानदंड नहीं हैं, जिससे टैरिफ काफी ज्यादा, तर्कहीन और गैर-पारदर्शी हो गया है।

Photo by Pascal Meier / Unsplash

खाड़ी देशों की तरफ जाने वाली फ्लाइट्स के आसमान छूते रेट अप्रवासी भारतीयों के लिए मुश्किल का सबब बन गए हैं। अब प्रवासी भारतीयों के एक समूह ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और खाड़ी देशों और भारत के बीच चलने वाली उड़ानों की अत्यधिक टिकट कीमतों के नियमन की मांग की है।

केरल प्रवासी एसोसिएशन (केपीए), एक पंजीकृत सोसायटी की रिट याचिका, जो केएमएनपी कानून के एक प्रबंध भागीदार, एड कुरियाकोस वर्गीस के माध्यम से दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि लाभ की तर्कसंगतता को बनाए रखने के लिए कोई मानदंड नहीं हैं, जिससे टैरिफ काफी ज्यादा, तर्कहीन और गैर-पारदर्शी हो गया है।

याचिका में कहा गया है कि या खाड़ी देशों से अनुचित और अत्यधिक हवाई किराए हवाई यात्रा पर परिवहन के एक साधन के रूप में प्रतिबंध लगाते हैं और इस प्रकार भारतीय यात्रियों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। याचिका में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए ज्यादा टैरिफ को प्रतिबंधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन, 1944 के कन्वेंशन के अनुसार दर्ज किए गए अंतर्राष्ट्रीय हवाई सेवा समझौतों का पालन करने के लिए केंद्र और अन्य को निर्देश देने की मांग की गई है।

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