टैगोर जयंती: ऑक्सफोर्ड के हिंदी प्रोफेसर ने किया याद, शांति निकेतन से है नाता
कवीन्द्र रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर दुनियाभर में उनके चाहने वालों ने उन्हें अपने तरीके से याद किया और श्रद्धांजलि दी। गीतांजलि के लेखक टैगोर के प्रशंसक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ऑक्सफोर्ड में भी हैं और उनका मानना है कि वह आधुनिक भारत के एक अद्भुत कवि थे जिनकी कविताओं और गीतों ने बंगाल में और वहां से बाहर पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल की है।
उनके ऐसे ही एक प्रशंसक ऑक्सफोर्ड के हिंदी प्रोफेसर डॉ. इमरे बांगा हैं। हंगरी मूल के प्रोफेसर बांगा का टैगोर के शांति निकेतन से गहरा नाता है। कवीन्द्र पर 'टैगोर : बियोंड हिज लैंग्वेज' नाम की किताब लिख चुके बांगा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, 'वह आधुनिक भारत के सबसे उत्कृष्ट कवि थे जिनकी कविता और गीतों ने बंगाल में और उससे बाहर भी लोकप्रियता हासिल की है। वह एक वैश्विक विचारक थे वहीं वह राष्ट्रीय सीमाओं से ऊपर उठकर मानवतावाद की पैरोकारी भी करते थे।'
Message of Dr Imre Bangha, Indologist, Associate Professor in Hindi at the University of Oxford, on the occasion of #TagoreJayanti. He studied for his PhD at the Śāntiniketan University, India, his research field is medieval Hindi poetry. pic.twitter.com/hWvTUJNkUE
— India in Hungary (@IndiaInHungary) May 11, 2022
टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन से शिक्षा हासिल करने वाले बांगा कहते हैं कि कवीन्द्र भारत के पहले वैश्विक शख्सियत थे जिनकी लेखनी का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। यह न केवल दुनिया की प्रचलित भाषाएं है बल्कि मध्य और पूर्वी यूरोप की वैसी भाषाएं हैं जिसे कुछ लाख लोग ही बोलते हैं।
उन्होंने कहा, 'टैगोर ने दुनिया को भारत की आधुनिक सांस्कृति को देखने का मौका दिया वह भी ऐसे वक्त में जब कई लोगों को लगता था कि भारतीय संस्कृति केवल प्राचीन भारत तक ही सीमित थी।' भाषाविद बांगा ने बुडापेस्ट में इंडोलोजी की पढ़ाई करने के बाद शांति निकेतन से पीएचडी की डिग्री हासिल की है। उन्होंने यहां मध्य-युगीन हिंदी कविताओं पर शोध किया था। ऐसे में टैगोर से उनका लगाव लाजमी है। बांगा हिंदी, अंग्रेजी, हंगरी के अलावा ब्रजभाषा के भी अच्छे जानकार हैं।