साल 1976 में हुई एक विमान दुर्घटना के बाद यह मान लिया गया था कि दुबई के एक प्रवासी भारतीय की मौत हो चुकी है। लेकिन वह जिंदा है। अब वह 70 साल का हो चुका है और करीब 45 साल के बाद उसकी कौलम (केरल) में अपने परिजनों से मुलाकात हुई है। उसकी कथित मौत और उसके बाद का जीवन भार उतार-चढ़ाव वाला रहा। दुबई में कभी फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर (वितरक) रहा यह सज्जाद तैंगल ठोकरें खाते-खाते आखिर अपने परिवार से मिल ही गया।
दुबई में प्रवासी के तौर पर रहते हुए सज्जाद ने मलयालम सितारों के लाइव प्रदर्शन और सामान्य प्रदर्शन के आयोजन भी संभाले थे। लेकिन 12 अक्टूबर 1976 का दिन सज्जाद के साथ वो हादसा हुआ, जिसके कारण वो 40 साल से अभी अधिक समय तक अपनों की नजरों में मृत घोषित हो गया।
उसकी कहानी यह है कि वह 1970 की शुरुआत में नाव के जरिए भारत से दुबई पहुंचा, जहां उसने कई मलयालमी आयोजन करवाए और फिल्म वितरण का काम भी शुरू किया। साल 1976 में उस वक्त की मशहूर मलायलमी अभिनेत्री और सौंदर्य प्रतियोगिता में अव्वल रहीं रानी चंद्रा का एक नृत्य प्रदर्शन भी सज्जाद ने आयोजित करवाया। आयोजन के बाद वह रानी चंद्रा और उनकी मंडली के साथ ही केरल अपने परिवार से मिलने जाना चाहता था, लेकिन दुबई में कुछ काम पूरा करने के लिए उसने आखिरी समय में अपनी यात्रा रद्द कर दी।
12 अक्टूबर 1976 को रानी और उनकी मंडली दुबई से मुंबई पहुंची, जहां से उन्होंने केरल के लिए एयर इंडिया के फ्लाइट ली। जैसे ही विमान ने उड़ान भरी, वैसे ही उसका इंजन फेल हो गया और वह कुछ पल में ही रनवे के पास क्रेश हो गया। जहाज में मौजूद 95 लोग उस हादसे में मारे गए। इनमें रानी चंद्रा और उनकी टीम के सदस्यों की भी मौत हो गई। उस वक्त यही सोचा गया कि सज्जाद की भी मौत हो गई और वो भी नहीं रहे।
लेकिन सज्जाद जिंदा था। हालांकि, उसे इस हादसे की सूचना नहीं थी। रानी चंद्रा और मंडली के साथ हुए हादसे की वजह से सज्जाद का काम दुबई में धीरे धीरे खत्म होने लगा। वैसे वह दुबई में काफी पैसे बना चुका था। उस पैसे से उसने कई तरह के बिजनेस किए, लेकिन हर जगह वो फेल हो गया। उसने दुबई में इडली और डोसा भी बेचा। लेकिन वो भी नहीं चला। अंत में सब कुछ लुट जाने के बाद सज्जाद अपने परिवार से मिलना भी नहीं चाहता था और मुंबई चला गया।
70 साल के साजाद 2019 से नवी मुंबई के पनवेल में एक बचाव केंद्र में रह रहे हैं। एक विदेशी अखबार को दिए इंटरव्यू में सज्जाद ने बताया कि उन्होंने लगभग 45 साल पहले हुई दुर्घटना में सब कुछ खो दिया था। उन्होंने कहा, मैं बहुत टूट गया हूं। मुझे नहीं पता कि मुझे क्या करना है। मेरा परिवार मानना था कि हादसे में मेरी भी मौत हो गई है। घटना के बाद मैं काफी तनाव में रहा, मनोवैज्ञानिक समस्याओं को सामना भी करना पड़ा। पेट भरने के लिए मैं मुंबई लौट आया और यहां छोटे मोटे काम करने लगा।
साल 2019 में बेघर और बुजुर्ग लोगों को रोटी, कपड़ा और आश्रय देने वाली सोसाइटी एंड गॉस्पेल लव एसोसिएशन नाम की एक एनजीओ ने सज्जाद को पनवेल के एक सामुदायिक केद्र में रखा, जहां उन्होंने पाया कि उसकी हालत बहुत खराब है। हालांकि, यहां आने के बाद सज्जाद की हालत सुधरी। उसने अपनी बुरी आदतों को छोड़ना शुरू किया। वहीं दूसरी ओर एनजीओ के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सज्जाद के परिवार का भी पता लगा लिया।
एनजीओ के फाउंडर केएम फिलिप ने बताया कि सज्जाद के दो भाई पनवेल आए और उसे अपने साथ घर ले गए। सज्जाद की 91 साल की मां फातिमा बीबी उसके घर वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। हालांकि, साजाद के पिता साल 2012 में ही गुजर गए थे।