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हिमालय पर शोध करने वाले डॉ. बावा का US नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में चयन

बोस्टन में यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स में बायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. बावा ने कई वर्षों तक हिमालय में शोध कार्य किया है। उनका यह शोध जैव विविधता के संरक्षण से लेकर जलवायु परिवर्तन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर आधारित था।

भारत में जन्मे प्रख्यात संरक्षण जीव विज्ञानी (Conservation Biologist) डॉ. कमल बावा को अमेरिकी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिए चयनित किया गया है। डॉ. बावा अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च एंड इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट (ATREE) के अध्यक्ष भी हैं। यह ट्रस्ट भारत के बेंगलुरु में स्थित है।

ट्रस्ट की ओर से बीती पांच मई को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि 170 वर्ष पुरानी इस एकेडमी में चयन इसके सदस्यों की ओर से विज्ञान के क्षेत्र में दिए गए उल्लेखनीय योगदानों की पहचान है। बावा लंदन की रॉयल सोसायटी और अमेरिकन फिलॉसफी सोसायटी के चयनित फेलो भी रहे हैं। इसे लेकर डॉ. कमल बावा ने कहा कि यह चयन इकोलॉजी, संरक्षण और उष्णकटिबंधीय वनों के प्रबंधन पर हमारे महत्वपूर्ण कार्य की पुष्टि है।

उन्होंने कहा कि उष्णकटिबंधीय वन पूरी दुनिया में तेजी से घट रहे हैं लेकिन ये इंसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। बोस्टन में यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स में बायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. बावा ने कई वर्षों तक हिमालय में शोध कार्य किया है। उनका यह शोध जैव विविधता के संरक्षण से लेकर जलवायु परिवर्तन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर आधारित था। वह कहते हैं कि जैव विविधता हमेशा से हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही है।

जैव संरक्षण में अहम कार्य करने वाले बावा के 200 से अधिक पेपर प्रकाशित हो चुके हैं और उन्होंने 10 से अधिक किताबें लिखी या संपादित की हैं। उनकी कॉफी टेबल बुक 'हिमालय: दि माउंटेंस ऑफ लाइफ, अ कंपेनियन वॉल्यूम टू सह्याद्रि: इंडियाज वेस्टर्न घाट्स' 2013 में प्रकाशित हुई थी।

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