दक्षिण अफ्रीका में हिंसा और लूटपाट से जूझते भारतीय, कौन करेगा उनकी रक्षा

दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीय आजकल खासे घबराए और पीड़ित नजर आ रहे हैं। अगर हम कहें कि वे इस देश में बेगाना महसूस कर रहे हैं और उन्हें कोई प्रभावी मदद नहीं मिल रही है तो वह गलत नहीं होगा। असल में इस देश में आजकल आप्रवासी भारतीयों को धमकियों, हिंसा और लूटपाट का सामना करना पड़ रहा है। उनका मानना है कि इस भयानक परिस्थितयों में राष्ट्रपति से लेकर पुलिस मंत्री और रक्षा मंत्री तक, सभी आबादी की सुरक्षा के लिए संवैधानिक रूप से अनिवार्य जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं।

हिंसा से जुड़े इस मसले को लेकर  इंडो-कैरेबियन टॉक का 56वां संस्करण 25 जुलाई को आयोजित किया गया, जिसमें दक्षिण अफ्रीका में धमकियों, हिंसा और लूटपाट के बीच रह रहे भारतीयों को लेकर चर्चा हुई। इंडो-कैरेबियन कल्चरल सेंटर ने जूम मीटिंग के जरिए यहां रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ दक्षिण अफ़्रीकी परिप्रेक्ष्य में आने वाली समस्याओं के बारे में भी बातचीत की। इस टॉक शो को डॉ. कुरैशा इस्माइल सुलीमान ने होस्ट किया और डी महाराज ने मॉडरेटर के रूप में काम किया।

अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर मेडिएशन की सदस्य, स्वतंत्र पत्रकार डॉ. कुरैशा इस्माइल सुलीमान ने इस चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने एएनसी के राजनीतिक गुटों और भारतीय समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बातचीत की। इस हिंसा की शुरुआत उन जगहों से हुई, जहां श्वेत लोगों ने अश्वेत लोगों को सामरिक भौगोलिक प्राकृतिक संसाधनों द्वारा अलग कर दिया था। यह या तो एक नदी, पुल या एक जंगल था, जो उनका प्रवेश बिंदु बना।