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एनआरआई भाई-बहन ने वर्षों तलाशा और मूंगफली वाले का कर्ज आखिर चुका ही दिया

जब भी प्रणव भारत आए उन्होंने काकीनाडा में उस मूंगफली विक्रेता की तलाश की। प्रणव और उनका परिवार उस मूंगफली विक्रेता के परिवार से हर हाल में मिलना चाहता था, लेकिन हर बार उनका प्रयास बेकार चला जाता था।

भारत में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो करोड़ों रुपये चुकाए बिना देश छोड़कर भाग गए हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सिर्फ मूंगफली का कर्ज चुकाने के लिए अमेरिका से आने के बारे में सुना है? हां यह बिल्कुल सच है। अमेरिका से भारत आए नेमानी प्रणव और उनकी बहन सुचिता ने आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में एक मूंगफली बेचने वाले का पता लगाया जिसने 2010 में मुफ्त में मूंगफली दी थी। तब प्रणव-सुचिता के पिता अपना बटुआ भूल गए थे और विक्रेता ने उनसे रुपये नहीं लिए थे। यहां आने पर नेमानी-सुचिता को पता चला कि विक्रेता का तो निधन हो गया है। इसके बाद उन्होंने उनके परिवार को 25,000 रुपये दिए।

बात साल 2010 की है जब एनआरआई मोहन नेमानी अपनी पत्नी और दोनों बच्चों प्रणव और सुचिता के साथ आंध्र प्रदेश स्थित काकीनाडा में समुद्र किनारे घूमने आए थे। समुद्र तट पर कुछ समय बिताने के बाद, उन्होंने गिंजाला पेड्डा सत्तैया से मूंगफली खरीदी, जो कई वर्षों से वहां मूंगफली बेच रहे थे। लेकिन मूंगफली खरीदने के बाद मोहन को पता चला कि वह पर्स तो घर पर ही भूल आए हैं। इस पर सत्तैया ने स्थिति को समझा और उन्होंने बिना एक पैसे लिए बच्चों को मूंगफली खाने के लिए दे दी इसके बाद मोहन और उनके परिवार के लोग वापस घर लौट आए और कुछ दिनों के बाद वे लोग अमेरिका चले गए।

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