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दार्जिलिंग: युद्ध के बीच खोजा गया एक शहर, अब खुशहाली और शांति का प्रतीक बन गया है

दार्जिलिंग घूमने का सबसे बढ़िया मौसम अप्रैल से जून का है। उस वक्त यहां का तापमान 25 डिग्री के आसापस रहता है और दिनभर सुहावनी हवा चलती रहती है। हालांकि, कई पर्यटक ठंड के मौसम में भी यहां आते हैं जिस वक्त तापमान शून्य के करीब पहुंच जाता है।

दार्जलिंग का टॉय ट्रेन।

'क्वीन्स ऑफ हिल्स' के नाम से मशहूर दार्जिलिंग भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक हिल स्टेशन है जो चाय के बागानों, बौद्ध मठों, टॉय ट्रेन और टाइगर हिल के लिए पर्यटकों के बीच मशहूर है। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों के शासन में ब्रिटेन के लोग गर्मी से राहत पाने के लिए यहां आया करते थे और जिसकी वजह यहां की समशीतोष्ण जलवायु है। शिवालिक पर्वमाला में बसे इस हिल स्टेशन को युद्ध के दौरान खोजा गया था लेकिन आज यह लोगों के जीवन में शांति ला रहा है।

ब्रिटिश सैनिकों ने खोजा था यह शहर

दार्जिलिंग नाम तिब्बत के दो शब्दों को दोर्जे ( बज्र ) और  लिंग ( स्थान) से लिया गया है यानी इसका अर्थ बज्र का स्थान है। दार्जिलिंग शहर की खोज को लेकर एक कहानी मशहूर है। इस शहर को अंग्रेजों ने तब खोजा था, जब आंग्ल-नेपाल युद्ध के दौरान ब्रिटिश सैनिक की टुकड़ी सिक्किम जाने के लिए छोटा रास्ता तलाश रही थी। इस रास्ते से सिक्किम तक पहुंचना आसान था इसलिए यह ब्रिटिश सैनिकों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना गया था। एक समय में यह युद्ध का स्थान बन चुका था। शुरुआत में यह सिक्किम का ही एक हिस्सा हुआ करता था।

दार्जिलिंग में कहां-कहां घूमें

हरियाली समेटे हुए इस हिल स्टेशन में टाइगर हिल, पीस पगोडा, बतासिया लूप, धीरधाम मंदिर, जमुनी टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स, भूटिया बस्ती मठ, सेंट एंड्रयू चर्च, लॉयड बॉटेनिकल गार्डन, नाइटिंगल श्रबरी, सेंचल लेक सहित कई दर्शन स्थल हैं। इसके अलावा यहां के हेरिटेज ट्रॉय ट्रेन दुनियाभर में मशहूर हैं। इस शहर में आने वाला शायद ही कोई शख्स हो जिसने इस ट्रेन की सवारी न की हो। हम इनमें से कुछ सबसे अधिक मशहूर स्थलों के बारे में बात करेंगे।

टाइगर हिल से कंचनजंघा के दर्शन।

टाइगर हिल

अगर आप सुबह-सुबह बर्फ से घिरे कंचनजंघा पर्वत की खूबसूरती की दीदार करना चाहते हैं तो दार्जिलिंग में मौजूद टाइगर हिल उस नजारे को आपकी स्मृतियों और आपके कैमरे में कैद करने का बेहतरीन माध्यम है। यह जगह सूर्योदय देखने के लिए काफी मशहूर है। पर्यटक सुबह तीन-चार बजे उठकर ही टाइगर हिल स्टेशन पहुंच जाते हैं।  

पीस पैगोडा।

पीस पैगोडा

सभी जातियों और पंथों के बीच एकता कायम करने के लिए जैपनीस पीस पैगौडा को बनाया गया था। यहां का रास्ता हरे-भरे पेड़ों के बीच से होकर गुजरता है जो सफर को सुहाना बना देता है। इसे जापान के एक बौद्ध भिक्षु ने बनावाया था। मठ की आधारशिला 1972 में रखी गई थी और इसका उद्घाटन 1992 में हुआ था। यहां बुद्ध के चार अवतारों की प्रतिमाएं स्थित हैं।

बतासिया लूप

360 डिग्री पर घूमती हुई ट्रेन कभी आपने देखी है? शायद ऐसा ख्याल ही आपको हैरानी से भर दे, लेकिन यह सच है। दार्जिलिंग के बतासिया लूप में आप टॉय ट्रेन को 360 डिग्री पर घूमते देख सकते हैं जिससे पूरे शहर की खूबसूरती का दीदार किया जा सकता है। इसके बीचोबीच युद्ध में शहीद हुए गोरखा सैनिकों का स्मारक है।

बतासिया लूप।

चाय बागान

दार्जलिंग की चाय को दुनिया 'शैम्पेन ऑफ टी' के नाम से जानती है। यहां चाय के 87 बागान है और हर बागान अपनी अद्वितीयता के लिए जाना जाता है। भारत में 25 प्रतिशत चाय का उत्पादन यहीं से किया जाता है। यहां आप किसी भी मौसम में आएं, यह आपको हमेशा हरा-भरा नजर आएगा। हर साल लाखों पर्यटकों को यह अपनी ओर आकर्षित करता है। इनमें से एक हैपी वैली टी एस्टेट है। यह दार्जिलिंग का दूसरा सबसे पुराना टी एस्टेट है। यह 177 हेक्टेयर में फैला हुआ है। कहते हैं कि यहां के बागान की झाड़ियां 80 से लेकर 150 साल पुरानी हैं।

दार्जलिंग का चाय बागान

टॉय ट्रेन

दार्जिलिंग हिमालयी रेल को टॉय ट्रेन के नाम से जाना जाता है। यह यूनेस्को को विश्व धरोहर का हिस्सा है। यहां की खूबसूरत पहाड़ियों के दर्शन के लिए ट्रेन सबसे बढ़िया माध्यम है। यह ट्रेन केवल दो फिट चौड़ी रेलवे लाइन पर चलती है। इस ट्र्रेन को 1879 से 1881 के बीच अंग्रेजों ने बनाया था जो कि जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक चलती है। 88 किलोमीटर लंबी रेल रूट पर चलने वाली इस ट्रेन की खासियत यह है कि यह जिग-जैग और लूप में चलती है।

हर साल लाखों पर्यटक दार्जिलिंग पहुंचते हैं।

दार्जिलिंग जाने का सटीक मौसम, कैसे पहुंचे?

दार्जिलिंग घूमने का सबसे बढ़िया मौसम अप्रैल से जून का है। उस वक्त यहां का तापमान 25 डिग्री के आसापस रहता है और दिनभर मौसम सुहाना रहता है। हालांकि कई पर्यटक ठंड के मौसम में भी यहां आते हैं जिस वक्त तापमान शून्य के करीब पहुंच जाता है। दार्जिलिंग का सबसे नजदीकी हवाईअड्डा सिलिगुड़ी का बागडोगरा है। दार्जिलिंग शहर से हवाई अड्डे की दूरी 67 किलोमीटर है। दार्जिलिंग ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है। इसके लिए कोलकाता रेलवे स्टेशन से न्यू जलपाईगुड़ी तक के लिए ट्रेन ले सकते हैं जहां से दार्जिलिंग शहर  70 किलोमीटर दूर है। न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग की दूरी 3 घंटे में पूरी होती है।

सभी तस्वीरें पश्चिम बंगाल के पर्यटन विभाग की वेबसाइट से ली गई हैं।

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