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चरमराती अर्थव्यवस्था से जूझती श्रीलंका सरकार ने भारत से मांगी मदद

वर्ष 2020 में श्रीलंका की सकल घरेल उत्पाद (जीडीपी) में रिकॉर्ड 3.6% की गिरावट देखने को मिली थी साथ ही पिछले साल की तुलना में इस साल का तेल बिल 41.5 फीसदी से बढ़कर 2 अरब डॉलर हो गया है जिससे की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ने लगा है।

विश्व का शायद ही ऐसा कोई देश होगा जो कोरोना महामारी से प्रभावित न हुआ हो। हाल ही की खबर है श्रीलंका जिसकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन से जुड़ा है, महामारी के कारण पर्यटन ठप हो गया है। ऐसे में श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी हो गई है और इसके चलते श्रीलंकाई सरकार ने अब सार्क समूह में अपने सबसे बड़े व्यापारी और दोस्त देश भारत से हुए अनुबंध 'भारत और श्रीलंका आर्थिक और पर्यटन अनुबंध' के अंतर्गत 500 मिलियन डॉलर यानी लगभग 3 हजार 800 करोड़ रुपये की सहायता राशि की मांग की है।

The End Of
Photo by Scott Rodgerson / Unsplash

बीते दिनों श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गमन बिल्ला ने यह चिंता जाहिर की थी कि देश में ईंधन की उपलब्धता की गारंटी अगले वर्ष जनवरी तक ही दी जा सकती है। इसके अलावा श्रीलंका की 'सीलोन पैट्रोलियम कॉरपोरेशन' पर भी फंड की भारी कमी है। सीलोन पैट्रोलियम कॉरपोरेशन पर श्रीलंका के दो बड़े बैंकों का अरबों रुपया बकाया है। जबकि कॉरपोरेशन मध्य पूर्व देशों से कच्चा तेल और सिंगापुर व अन्य देशों से आवश्यक वस्तुओं का आयात करता है।

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