सिंगापुर के अटॉर्नी जनरल के चेंबर (AGC) ने कहा है कि मृत्युदंड की सजा पाए भारतीय मूल के मलेशियाई कैदी की ओर से ऐसा कोई सुझाव या तर्क नहीं मिला है कि उसे विशेष रूप से शेड्यूलिंग प्रक्रिया में निशाना बनाया गया था। इस व्यक्ति को ड्रग्स (मादक पदार्थ) तस्करी के लिए मृत्यु दंड दिया गया था लेकिन निर्धारित समय से एक दिन पहले सजा पर रोक लगा दी गई थी।
एजीसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोर्ट ऑफ अपील जजमेंट ने 30 मई को कहा था कि वर्तमान स्थिति में लगता है कि दचिनमूर्ति कटैया (36) के लिए 20 मार्च को मृत्यु दंड निर्धारित करके उसे 'अकेला' कर दिया गया था। प्रवक्ता ने कहा कि एजीसी समझता है कि अकेला करने का अर्थ केवल यह बताने के लिए था कि इस फैसले से केवल कटैया प्रभावित होगा।
उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि कटैया को सरकार की ओर से सजा के निर्धारण की प्रक्रिया में अकेला कर दिया गया था। कटैया को अप्रैल 2015 में 44.96 ग्राम हेरोइन की तस्करी करने के आरोप में दोषी करार दिया गया था। वह उन 13 कैदियों में से एक है जिनका अपने निजी पत्रों के अनधिकृत रूप से प्रस्तुत करने पर अटॉर्नी जनरल के खिलाफ नागरिक दावा लंबित है।
29 अप्रैल को मृत्यु दंड निर्धारित होने के बाद कटैया ने फैसले की न्यायिक समीक्षा करने की मांग की थी। उसने तर्क दिया था कि अन्य 12 कैदियों के मुकाबले उसके साथ अलग व्यवहार किया गया था। 28 अप्रैल को हाईकोर्ट ने उसके आवेदन की समीक्षा लंबित देखते हुए सजा पर रोक लगा दी थी। अपीलीय अदालत ने भी यह फैसला बरकरार रखा।
सिंगापुर: भारतीय ड्रग तस्कर, मृत्यु दंड, रोक लगी, क्या तर्क दिया है AGC ने
एजीसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोर्ट ऑफ अपील जजमेंट ने 30 मई को कहा था कि वर्तमान स्थिति में लगता है कि दचिनमूर्ति कटैया (36) के लिए 20 मार्च को मृत्यु दंड निर्धारित करके उसे 'अकेला' कर दिया गया था।
