संयुक्त राष्ट्र की एक अधिकारी द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य की गिरफ्तारी पर उंगली उठाने जाने को भारत के विदेश मंत्रालय ने अनुचित बताया है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्त अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा कि अधिकारी की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित है और यह भारत की स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप है।

बागची ने आगे कहा कि हमने तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के संबंध में मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त के कार्यालय द्वारा एक टिप्पणी देखी है। भारत की अथॉरिटी न्यायिक प्रक्रियाओं के अनुसार कानून के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ाई से कार्य करती हैं। इस तरह की कानूनी कार्रवाइयों को उत्पीड़न के रूप में दर्शाना भ्रामक और अस्वीकार्य है।
हालांकि मंत्रालय की विज्ञप्ति में यह उल्लेख नहीं किया गया कि अन्य दो व्यक्ति कौन हैं, जबकि उनमें से एक पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार होने की संभावना है, जिन्हें सीतलवाड़ की तरह गुजरात एटीएस ने 25 जून को गिरफ्तार किया था। बता दें कि तिस्ता सीतलवाड़ को मुंबई में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था, जबकि गुजरात के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गांधीनगर में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ जालसाजी और आपराधिक साजिश समेत अन्य के आरोप में दर्ज एक मामले में कार्रवाई की गई है।
दूसरा अज्ञात व्यक्ति संजीव भट्ट होने की संभावना है। वह एक पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हैं जो 2002 के दंगों के दौरान गुजरात में थे और सेवानिवृत्ति के बाद पीएम मोदी के मुखर आलोचक बन गए। 20 जून 2019 को भट्ट को हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
Deeply concerned by reports of #WHRD Teesta Setalvad being detained by Anti Terrorism Sqaud of Gujarat police. Teesta is a strong voice against hatred and discrimination. Defending human rights is not a crime. I call for her release and an end to persecution by #Indian state.
— Mary Lawlor UN Special Rapporteur HRDs (@MaryLawlorhrds) June 25, 2022
आपको बता दें कि 26 जून को मानवाधिकार रक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मैरी लॉलर ने ट्वीट किया था कि गुजरात पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिए जाने की खबरों से गहरी चिंतित हूं। तीस्ता नफरत और भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत आवाज है। मानवाधिकारों की रक्षा करना कोई अपराध नहीं है। मैं उनकी रिहाई और भारतीय राज्य द्वारा उत्पीड़न को समाप्त करने का आह्वान करती हूं।