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UN अधिकारी की आपत्ति पर भारत ने कहा, अनुचित है उनका ऐसा बयान

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्त अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा कि अधिकारी की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित है और यह भारत की स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप है। उन्होंने कहा कि भारत की अथॉरिटी न्यायिक प्रक्रियाओं के अनुसार कानून के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ाई से कार्य करती हैं।

संयुक्त राष्ट्र की एक अधिकारी द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य की गिरफ्तारी पर उंगली उठाने जाने को भारत के विदेश मंत्रालय ने अनुचित बताया है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्त अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा कि अधिकारी की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित है और यह भारत की स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप है।

बागची ने आगे कहा कि हमने तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के संबंध में मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त के कार्यालय द्वारा एक टिप्पणी देखी है। भारत की अथॉरिटी न्यायिक प्रक्रियाओं के अनुसार कानून के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ाई से कार्य करती हैं। इस तरह की कानूनी कार्रवाइयों को उत्पीड़न के रूप में दर्शाना भ्रामक और अस्वीकार्य है।

हालांकि मंत्रालय की विज्ञप्ति में यह उल्लेख नहीं किया गया कि अन्य दो व्यक्ति कौन हैं, जबकि उनमें से एक पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार होने की संभावना है, जिन्हें सीतलवाड़ की तरह गुजरात एटीएस ने 25 जून को गिरफ्तार किया था। बता दें कि तिस्ता सीतलवाड़ को मुंबई में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था, जबकि  गुजरात के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गांधीनगर में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ जालसाजी और आपराधिक साजिश समेत अन्य के आरोप में दर्ज एक मामले में कार्रवाई की गई है।

दूसरा अज्ञात व्यक्ति संजीव भट्ट होने की संभावना है। वह एक पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हैं जो 2002 के दंगों के दौरान गुजरात में थे और सेवानिवृत्ति के बाद पीएम मोदी के मुखर आलोचक बन गए। 20 जून 2019 को भट्ट को हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

आपको बता दें कि 26 जून को मानवाधिकार रक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मैरी लॉलर ने ट्वीट किया था कि गुजरात पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिए जाने की खबरों से गहरी चिंतित हूं। तीस्ता नफरत और भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत आवाज है। मानवाधिकारों की रक्षा करना कोई अपराध नहीं है। मैं उनकी रिहाई और भारतीय राज्य द्वारा उत्पीड़न को समाप्त करने का आह्वान करती हूं।

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