किसी शिक्षण संस्थान में दाखिले के बाद यह पता चले कि वह बंद होने जा रहा है। वह संस्थान जिसमें एडमिशन के लिए आपने लाखों खर्च किए हों, सोचिए उस वक्त आपकी क्या हालत होगी? ठीक इसी हालात से भारत के पंजाब राज्य के कई बच्चों के माता-पिता गुजर रहे हैं। दरअसल, इन बच्चों के माता-पिता ने उच्च शिक्षा के लिए कनाडा के कॉलेजों में दाखिला कराया, और अब हालत यह है कि ये कॉलेज वित्तीय मुश्किलों के कारण अचानक से बंद हो गए। माता-पिता को आर्थिक हानि तो हुई ही, वहीं बच्चों का भविष्य भी अधर में लटकता दिख रहा है।
इन बच्चों के माता-पिता ने पंजाब में स्थानीय प्रशासन से संपर्क किया जिसके बाद राज्य के जालंधर शहर की पुलिस ने भारत स्थित कनाडा के कॉन्स्युलेट को उनकी चिंताओं से अवगत कराया है। जालंधर के डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने सोमवार को कॉन्स्युलेट जनरल पैट्रिक हर्बट से मुलाकात की और उनके सामने छात्रों का मुद्दा उठाया।
इन छात्रों के साथ दूसरी समस्या यह है कि कनाडा सरकार ने इनका वीजा भी खारिज कर दिया है। हालांकि, यह नियम के अनुरूप ही हुआ है। चूंकि ये संस्थान कभी भी बंद हो सकते हैं इसलिए पंजाब के इन बच्चों को कनाडा सरकार एजुकेशन वीजा नहीं दे सकती। उधर, कनाडा के महावाणिज्य दूत पैट्रिक कहना है कि उनकी सरकार इस मामले पर विचार कर रही है और क्वेबेक प्रांत की सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है।
बता दें कि ये तीन कॉलेज मॉन्ट्रियल शहर के एम कॉलेज, सीडीई कॉलेज और सीसीएसक्यू हैं, जिन्होंने अचानक ही बंद होने की घोषणा की। छात्रों ने अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद कनाडा की सरकार ने उन बच्चों को रिफंड दिलाया जो कनाडा में रह रहे थे और उनके पास वैध वीजा था। दो महीने के संघर्ष के बाद 1173 छात्रों को रिफंड मिला जिनमें से अधिकांश पंजाबी हैं। वहीं, भारत से ऑनलाइन पढ़ाई कर 500 से अधिक बच्चों का भविष्य अभी अधर में लटका हुआ है । इनकी न केवल पढ़ाई रुक गई बल्कि इन्हें कोई रिफंड भी नहीं मिला है।