जलवायु परिवर्तन : मोदी की दुनिया से दो टूक- समस्या हमने पैदा नहीं की, किंतु समाधान का हिस्सा बनेंगे
जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में आयोजित सम्मेलन ( COP28) में जिम्मेदारी के सवाल पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया से दो-टूक दो बातें कही हैं। पहली यह कि इस संकट के लिए विकासशील देश जिम्मेदार नहीं हैं और दूसरी यह कि विकासशील देश इसके समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं।
बीते दो दशक से जलवायु परिवर्चन के लिए वैश्विक स्तर पर हो रहे संवादों और सम्मेलनों में अक्सर विकसित देश जलवायु परिवर्तन और विश्व के बढ़ते तापमान के लिए विकासशील देशों को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं और उन पर तरह-तरह के प्रतिबंधों की बातें करते रहे हैं। इसी संदर्भ में पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि यह समस्या विकासशील देशों द्वारा खड़ी नहीं की गई है।
पीएम मोदी ने कहा कि हम इस बात पर कायम हैं कि जलवायु परिवर्तन एक सामूहिक चुनौती है जिससे निपटने के लिए एकजुट वैश्विक प्रयास जरूरी हैं। लेकिन यह समझना आवश्यक है कि विकासशील देशों ने इस समस्या को पैदा नहीं किया है। पूरी दुनिया के लिए प्रधानमंत्री का आशय साफ है कि विकसित देश जलवायु परिवर्चन के लिए विकासशील देशों को कोसना और उन पर इसका ठीकरा फोड़ना बंद करें। अलबत्ता जिम्मेदारी के सवाल पर पीएम ने कहा कि फिर भी विकासशील देश समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाया कि सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में भारत ने सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को प्राथमिकता पर रखा था। हमने एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य की नीति को अपनी अध्यक्षता का आधार बनाया था और साझा प्रयासों से कई मामलों पर सहमति बनाने में सहमति प्राप्त की थी। लिहाजा, भारत जलवायु परिवर्तन को भी विश्व की एक साझा चुनौती मानता है इसलिए साझा प्रयासों की वकालत करता है।
इसी के साथ पीएम मोदी ने यह भी साफ कर दिया कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती गहराने में भारत ही नहीं ग्लोबल साउथ की भूमिका बेहद कम रहीहै। पीएम ने कहा फिर भी हम इस समस्या के निदान के लिए प्रतिबद्ध हैं। ग्लोबल साउथ का मानना है कि इस समस्या के निराकरण के लिए विकसित हमारी अधिकाधिक मदद करें। यह स्वाभाविक भी है और न्यायोचित भी।
बहरहाल, G20 सम्मेलन की तरह COP28 सम्मेलन से भी यह स्पष्ट हो रहा है कि भारत वैश्विक मंचों पर न केवल अपनी बात कर रहा है बल्कि ग्लोबल साउथ का असरदार प्रतिनिधित्व कर रहा है। इसीलिए पीएम मोदी ने COP28 सम्मेलन में संबोधन की शुरुआत भारत से न करके ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर की।