भारत स्थित मराठवाड़ा की रहने वाली और एमआटी विश्व भारती संगीत कला अकादमी से शिक्षा हासिल करने वाली स्वपनली गायकवाड ने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए कुछ पैसों का इंतजाम करने की गरज से वर्ष 2018 में संगीत की कक्षाएं देना शुरू किया था। मगर कोविड महामारी के सुरक्षा नियमों की खातिर उन्हें वही काम ऑनलाइन जारी रखने का मौका मिल गया। और तब से लेकर अब तक संगीत के सुरों ने उनके भी दिन और लय बदल डाली।

स्वपनली कहती हैं कि संगीत की ऑनलाइन तालीम हासिल करने के लिए होने वाले नामांकनों की संख्या को लेकर मैं हैरान हूं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, पाकिस्तान और यहां तक कि अंग्रेजी न बोलने वाले जापानियों ने भी भारतीय शास्त्रीय गायन सीखने के लिए नामांकन किया है। वे बताती हैं कि वर्तमान में 150 से अधिक छात्र मेरी ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं। मार्च 2020 से अब तक स्वपनली ने दुनिया भर के करीब 546 छात्रों को संगीत की तालीम दी है। उनका कहना है कि हम कलाकारों को उनका हुनर ऑनलाइन पेश करने में भी मदद करते हैं ताकि कुछ आय भी हो सके।
गायकवाड से संगीत की तालीम लेने वाली एक छात्रा नेहा गंजू बताती है कि इस तरह से शास्त्रीय संगीत सीखना बहुत अच्छा अनुभव रहा। पहले तो मैं ऑनलाइन संगीत सीखने को लेकर थोड़ा संशयग्रस्त थी, मगर जिस तरह से यह दिया गया वह अनुभव वास्तविक कक्षा में जैसा था। यही नहीं इस माध्यम से मुझे कोविड -19 के कारण होने वाली कुछ चिंताओं से निजात पाने में भी मदद मिली।
अब गायकवाड उत्साहित हैं। इसीलिए उन्होंने अपने नए लक्ष्य निर्मित किए हैं। एक कदम और आगे बढ़ाते हुए वे अब ग्रामीण महाराष्ट्र के युवा और लोक कलाकारों को सुरों के संसार में कदम जमाने में मदद कर रही हैं। इसके पीछे उनका सोच यह है कि कोविड के दौरान जो संगीत कलाकार अपने भरण-पोषण का माध्यम खो बैठे हैं, उनकी कुछ मदद हो जाए और साथ ही जो युवा कलाकार संगीत की दुनिया में उड़ान भरना चाहते हैं उन्हे भी दिशा मिल सके।
गायकवाड को ऑनलाइन क्लास शुरू करने में गुजरात के एक छात्र मल्लव ने मदद की। गायकवाड का कहना है कि हमारी कोशिश है कि कलाकार अपने काम का ऑनलाइन प्रदर्शन भी करें ताकि आय के साथ-साथ उनके काम को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिल सके।