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'चीन के लॉकडाउन और यूक्रेन युद्ध से गिरने लगा दुनिया का रोजगार बाजार'

संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के उपायों के कारण चीन में काम के घंटों में 86 फीसदी की गिरावट आई है जबकि यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से और गिरावट आने का खतरा है।

Photo by Saulo Mohana / Unsplash

इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन (ILO) की हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक चीन में लॉकडाउन और यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक रोजगार बाजार को प्री कोविड के स्तर पर तक पहुंचने की दिशा में लाए जा रहे यूटर्न पर अभी भी खतरा मंडरा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि प्री कोविड ​​​​स्तर की तुलना में 2022 की पहली तिमाही में 112 मिलियन यानी 112 करोड़ कम पूर्णकालिक नौकरियां थीं। हालांकि आशा थी की यह स्तर बढ़ता रहेगा। लेकिन इस अनिश्चित जोखिम के चलते लगता है कि साल 2022 में भी काम किए जाने वाले घंटों की मात्रा में गिरावट जारी रहेगी।

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कोरोना के प्रसार को रोकने के उपायों के कारण चीन में काम के घंटों में 86 फीसदी की गिरावट आई है। Photo by Clem Onojeghuo / Unsplash

रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के प्रसार को रोकने के उपायों के कारण चीन में काम के घंटों में 86 फीसदी की गिरावट आई है जबकि यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से और गिरावट आने का खतरा है। ILO के महानिदेशक गाय राइडर ने मीडिया को बताया कि आंकड़े संभवतः यूक्रेन युद्ध के प्रभावों को सही नहीं बता रहे हों लेकिन पूर्वानुमान है कि दूसरी तिमाही में भी प्री कोविड के स्तर से 123 मिलियन यानी 123 करोड़ कम पूर्णकालिक नौकरियां होंगी।

राइडर ने कहा कि अगली बार जब हम आंकड़ों को मॉनिटर करने का काम करेंगे तो वह और ज्यादा खतरनाक दिखाई देंगे। उस ग्राफ में नौकरियां काफी तेज गति से गिरती हुई दिखाई देंगी। ILO ने कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति मुख्य रूप से ऊर्जा की कीमतों और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों से प्रेरित है। अगर श्रमिकों की आय में ध्यान नहीं दिया जाता है तो यह अर्थव्यवस्था और नौकरियों दोनों के लिए जोखिम साबित हो सकता है।

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