Skip to content

प्रवासियों की चुनौतियां: नस्ली भेदभाव से लेकर रोजगार की अनिश्चितता तक

विदेशी प्रवास अवसर के साथ ही चुनौतियां भी लेकर आता है यह भारतीय समुदाय पर भी लागू होता है। अमेरिका जैसे विकसित देश हों या फिर खाड़ी देश भारतीय समुदाय के लिए गुजर-बसर करना उतना आसान नहीं होता जितना यह दूर से नजर आता है।

ज्यादातर भारतीयों के मन में यह धारणा होती है कि जो विदेश में बस गए हैं वे बहुत ही शानदार जीवन जी रहे होते हैं। उनकी आर्थिक और सामाजिक दोनों ही स्थिति आम भारतीयों से बेहतर होती है। हालांकि कई मायने में यह सही भी है लेकिन ऐसा नहीं है कि वे पराए देश में बिना किसी चुनौती के बेफिक्री की जिंदगी जी रहे हैं। उन्हें भी वहां ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जो शायद देश की परिधि के भीतर रह रहे भारतीयों को नहीं करनी पड़ रही। संबंधित देशों की घरेलू नीतियों के कारण नौकरी की अनिश्चतता हो या नस्लीय भेदभाव, ऐसे कई समस्याएं हैं जिनसे उन्हें आए दिन जूझना पड़ता है।

कैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं NRI

विदेशों में भारतीय समुदाय एक पढ़ा लिखा वर्ग माना जाता है और अंग्रेजी शिक्षा की वजह से उनके लिए रोजगार के अवसर भी वहां ज्यादा हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों या अन्य देशों के डायस्पोरा को वह अवसर नहीं मिलता, जो भारतीय समुदाय को मिलता है। इस वजह से उनमें भारतीयों के प्रति नफरत की भावना पैदा हो रही है। अमीर देशों में भारतीयों को जहां अपनी कौशल और शिक्षा के कारण मिले अवसर से नफरत झेलनी पड़ती है तो खाड़ी के देशों की आर्थिक अस्थिरता के कारण उन्हें बार-बार नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। तेल की कीमतों में गिरावट और घरेलू संकट के कारण वहां काम कर रहे भारतीयों के लिए रोजगार बचाए रखना यक्ष प्रश्न बन जाता है। महामारी के बाद खाड़ी देशों से भारतीय कामगारों का लौटना इसका एक बड़ा उदाहरण है।

अमीर देशों में भारतीयों को जहां अपनी कौशल और शिक्षा के कारण मिले अवसर से नफरत झेलनी पड़ती है। 

This post is for paying subscribers only

Subscribe

Already have an account? Log in

Latest