भारत सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए वैक्सीन लॉन्च करने जा रहा है। यह भारत की पहली स्वदेशी वैक्सीन है जिसे क्वाड्रीवैलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) नाम दिया गया है। इस वैक्सीन की कीमत मात्र 200-400 के बीच होगी। भारत सरकार में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान घोषणा करते हुए बताया कि वैक्सीन अपने आखिरी चरण में है।
Delhi | The vaccine for cervical cancer will be available in a few months. Will give it to our country first & later to the world. May be priced between Rs 200-400 but prices yet to be finalized. Preparing to make 200 million doses in 2 years: Serum Institute CEO, Adar Poonawalla pic.twitter.com/g4JXfwWNV9
— ANI (@ANI) September 1, 2022
सिंह ने बताया कि वैक्सीन से संबंधित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां पूरी हो चुकी हैं और अगला कदम वैक्सीन को जनता के लिए उपलब्ध कराना है। कार्यक्रम में बोलते हुए सिंह ने कहा कि कोविड ने निवारक स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाई है। इसी के चलते सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ वैक्सीन का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने हमें निवारक स्वास्थ्य देखभाल के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। इसके लिए डिपार्टमेंट आफ बॉयोटैक्नोलॉजी ने अग्रणी भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक प्रयासों को कभी-कभी उस मान्यता का पैमाना नहीं मिलता जिसके वे हकदार होते हैं। इसलिए यह आयोजन उस वैज्ञानिक पूर्णता का जश्न मनाने के लिए है। दूसरी ओर कार्यक्रम में मौजूद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला ने मीडिया कर्मियों से बताया कि सर्वाइकल कैंसर की कीमत काफी कम होगी। वैक्सीन मार्केट में 200-400 रुपये के बीच उपलब्ध होगी। हालांकि इसकी कीमत अभी तय नहीं की गई है।
पूनावाला ने कहा कि वैक्सीन संभवत इस साल के अंत तक लॉन्च की जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले सरकारी चैनल के माध्यम से वैक्सीन उपलब्ध की जाएगी और अगले साल कुछ निजी भागीदार भी इसमें शामिल होंगे। पूनावाला ने यह भी कहा कि शुरुआत में 20 करोड़ वैक्सीन बनाने की योजना है। पहले वैक्सीन भारत में दी जाएगी और उसके बाद ही इसे अन्य देशों में निर्यात किया जाएगा।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले ने बताया कि इस वैक्सीन के लिए देश भर में 2000 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के शोध में निजी-सार्वजनिक के बीच साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण होती जा रही है। यह सह-निर्माण दुनिया में सभी बदलाव लाने वाला है। बता दें कि भारत में सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में दूसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है।