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पीएम मोदी की हर गतिविधि पर नजर रख रहा था PFI, कई कारण हैं संगठन को बैन करने के

केंद्र ने यह भी अनुमान जताया है कि पीएफआई ने अपनो सहयोगियों या संबद्ध मोर्चों का निर्माण समाज के युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किया था। इनका एकमात्र उद्देश्य अपने सदस्यों की संख्या, प्रभाव और फंडिंग की क्षमता बढ़ाना है।

भारत सरकार ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इसके सहयोगी, संबद्ध या मोर्चों को पांच साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। यह कदम गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम 1967 के सेक्शन 3 के तहत उठाया गया है। इससे कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और विभिन्न राज्यों का पुलिस ने आतंकी गतिविधियों से जुड़ी गतिविधियों को लेकर पीएफआई के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया था।

इस दौरान इस संगठन के नेताओं की ओर से लोगों को भड़काने, आतंकी प्रशिक्षण देने और आतंकी फंडिंग जुटाने को लेकर जांच की गई थी। उल्लेखनीय है कि भारत की विभिन्न जांच एजेंसियों ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान पीएफआई के सैकड़ों नेताओं और कैडर्स को गिरफ्तार किया है। भारत सरकार ने पीएफआई के साथ इससे जुड़े आठ संगठनों पर भी गैरकानूनी संबद्धता के लिए यह कार्रवाई की है।

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