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कोरोना के जहरीले फन से बचाएगी वैक्सीन, दो और टीके को मिली मंजूरी

कॉर्बीवैक्स टीके की तकनीक को टेक्सास चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल और बेलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के सहयोग से बनाया गया है। इसे भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। टेक्सास चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल का कहना है कि भारत के साथ अन्य जरूरतमंद देशों में इसकी शुरुआत की जा रही है।

Photo by Ed Us / Unsplash

ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच इस हफ्ते भारत की केंद्रीय औषधि प्राधिकरण ने अमेरिका की दो कोरोना रोधी टीकों- कोर्बीवैक्स और कोवोवैक्स को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है। अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने ट्वीट करते हुए इसे भारत-अमेरिका स्वास्थ्य सहयोग का एक मॉडल बताया। संधू ने कहा कि भारत-अमेरिका के स्वास्थ्य सहयोग के मॉडल वैश्विक भलाई के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।

पिछले साल जून में संधू ने मेरीलैंड में नोवावैक्स केंद्र का दौरा किया था। उन्होंने सनीश्योर के सीईओ थॉमस हुक से भी बात की थी।

टेक्सास चिल्ड्रन्स, बेलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के साथ काम कर रही भारतीय कंपनियों, बेलोर में नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर एवं डीन डॉ. पीटर होटेज, टेक्सास चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट, नोवावैक्स के सह-निदेशक मार्क एंड रिजबैक बायो ने राजदूत संधू के ट्वीट को रिट्वीट किया। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में ह्यूस्टन की अपनी यात्रा के दौरान संधू ने प्रोफेसर होटेज से मुलाकात की थी और इस मुद्दे पर चर्चा की थी। पिछले साल जून में संधू ने मेरीलैंड में नोवावैक्स केंद्र का दौरा किया था। उन्होंने सनीश्योर के सीईओ थॉमस हुक से भी बात की थी। सनीश्योर, एसआईआई-नोवावैक्स के लिए संसाधनों की आपूर्ति करती है।

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