महामारी की धीमी रफ्तार होने के साथ ही दुनिया भर में लगभग सभी देश सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के प्रयासों में लग गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका जहां छात्रों और तकनीकी विशेषज्ञों के बीच लंबे समय से पसंदीदा देश रहा है तो वहीं पड़ोसी देश कनाडा अप्रवासियों के लिए तेजी से एक बड़ा गंतव्य बनकर उभरा है।
तेजी से बढ़ते रोजगार बाजार और सस्ती शिक्षा की मदद से यह देश प्रवासियों को आसानी से आकर्षित कर रहा है। साल 2021 में लगभग 1,00,000 भारतीय कनाडा के स्थायी निवासी बन गए। दरअसल कनाडा ने इसी समय के भीतर रिकॉर्ड स्तर पर 4,05,000 नए अप्रवासियों को देश में पनाह दी है।

कनाडा अपने Post-Graduation Work Permit (PGWP) कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को शिक्षा के बाद देश में रहने के रास्ते भी खोल रहा है। पिछले महीने कनाडा के आप्रवासन मंत्री सीन फ्रेजर ने एक नई अस्थायी नीति की घोषणा की, जो अस्थायी स्थिति की समाप्ति के साथ हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्नातकों को अपने प्रवास का विस्तार करने का अवसर देती है ताकि वे कार्य अनुभव प्राप्त करना जारी रख सकें और स्थायी निवास के लिए मौके तलाश कर सकें।
लीवरेज एडु के संस्थापक अक्षय चतुर्वेदी बताते हैं कि महामारी के बाद चीजें बदल रही हैं। कनाडा अब यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद काम के अवसरों के मामले में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है। बेहतर और अधिक आकर्षक काम के अवसर और अंततः नागरिकता प्राप्त करने का एक बेहतर मार्ग अधिक से अधिक लोगों को इन देशों में ले जा रहा है। यूनाइटेड किंगडम ने भी 2021 में पोस्ट-स्टडी ग्रेजुएट रूट की शुरुआत की है ताकि योग्य स्नातक यूके में पढ़ाई के बाद 3 साल तक वापस रह सकें।
इस महीने यूके की ओर से एक विशेष हाई पोटेंशियल इंडिविजुअल (HPI) वीजा लॉन्च करने की भी उम्मीद है। नए वीजा मार्ग का उद्देश्य उच्च-कुशल विदेशी विश्वविद्यालय के स्नातकों को आकर्षित करना होगा, जिन्हें उनके डिग्री स्तर के आधार पर दो या तीन साल के लिए यूके में काम करने और रहने की अनुमति होगी। आवेदकों को नौकरी की पेशकश या प्रायोजन की आवश्यकता नहीं होगी और इस वीजा के धारक स्वरोजगार के लिए यूके आने के लिए स्वतंत्र होंगे।
ऑस्ट्रेलिया भी अब स्नातक करने वाले छात्रों के लिए एक लचीला कार्य वीजा प्रदान करता है। सिडनी, मेलबर्न और ब्रिस्बेन जैसे शहरों में पढ़ने वाले स्नातक छात्र दो साल तक काम कर सकते हैं। पोस्ट ग्रेजुएट छात्र तीन साल तक काम कर सकते हैं और डॉक्टरेट छात्र चार साल तक काम कर सकते हैं। एडिलेड, पर्थ और कैनबरा जैसे अन्य शहरों में पढ़ने वाले छात्र अपने स्थान और अध्ययन के पाठ्यक्रम के आधार पर अपने वर्क स्टडी वीजा को 2 अतिरिक्त वर्षों तक बढ़ा सकते हैं।
छात्रों के बीच मिडिल ईस्ट देश जिनमें विशेष रूप से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की भी लोकप्रियता बढ़ रही है।दुबई कई ब्रिटिश और अमेरिकी विश्वविद्यालयों का घर है जहां छात्र यूके या यूएस परिसरों में होने वाली लागत से बचने के लिए डिग्री हासिल कर सकते हैं। ये देश ग्लोबल एक्पोजर की तलाश में रहने वाले भारतीयों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हैं जो यूरोप और अमेरिका में शिक्षा के लिए उच्च लागत को वहन करने में असमर्थ हैं। इन देशों में कमाई पर टैक्स का कम बोझ भी प्रवासियों को अपनी ओर खींच रहा है।