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भूपेंद्र की खनकती और भरी आवाज ही उनकी ‘पहचान है, हमेशा याद रहेगी’

अस्सी के दशक में ही जब मोहम्मद रफी और किशोर कुमार अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे थे, उस दौर में भूपेंद्र के गाए 'नाम गुम जाएगा', 'हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये', 'ज़िंदगी ज़िंदगी मेरे घर आना ज़िंदगी' और 'किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है', अलग ही जलवा दिखा रहे थे। अधिकतर गीत गुलजार साहब के ही थे।

खनकती, मौलिक और भरी आवाज के मालिक भारत (बॉलीवुड) के गायक भूपेंद्र का सोमवार (18 जुलाई) को निधन हो गया। उनके गाए कुछ गीत ऐसे बन पड़े हैं कि इस दुनिया में जब तक गीत-संगीत है, वे गाए जाते रहेंगे। गिटार बजाना उनका जुनून था, गीत वह दिल से गाते थे। फिल्म इंडस्ट्री के नामी लोग उन्हें फिल्म स्टार बनाना चाहते थे, लेकिन इस ‘डरपोक नायक’ को हीरो नाम से ही डिप्रेशन हो जाता था। किस्मत की बात है कि जिस फिल्म में उन्हें हीरो बनाया जाना था, उसमें बाद में राजेश खन्ना को मौका मिला। फिल्म हिट रही और राजेश खन्ना के आगे सुपर स्टार बनने का आसमां खुल गया। यह गायक इतना अपनापे से भरा था कि फिल्म इंडस्ट्री के कई नामी लोगों से इसका याराना था, खासकर आरडी बर्मन और गुलजार।

भूपेंद्र को फिल्मों में गाने का ब्रेक चाहे संगीतकार मदन मोहन ने दिया लेकिन उनकी जीवन को परवान चढ़ाया संगीतकार आरडी बर्मन (पंचम दा) ने।

भूपेंद्र (82 वर्ष) लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वह कई बीमारियों से ग्रस्त थे, जिस कारण उनका निधन हो गया। फिल्म इंडस्ट्री में उनकी गाईं कई गजलें व गीतों ने पूरे देश खासकर युवाओं में खूब धुन मचाई। अस्सी के दशक में उनका सितारा बुलंदी पर था और उस दौरान उनके गाए गीत/गजलें लगातार हिट होते रहे। उन्होंने करीब 350 गीत गाए। हम उनके कुछ मशहूर गानों की बात करेंगे, जो आज भी सुने जाते हैं, जैसे ‘दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन’, ‘नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा’, ‘होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा’, ‘करोगे याद तो याद बहुत आओगे’, ‘एक अकेला इस शहर में’, ‘जिंदगी, मेरे घर आना आना जिंदगी’, ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता’, ‘अहले दिल यूं भी निभा लेते हैं’, ‘आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं’ आदि।

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