स्वीडन के सबसे प्रतिष्ठित करोलिंस्का इंस्टिट्यूट (Karolinska institute) की वायरोलॉजी लैब का नेतृत्व करने वाले भारतीय उज्जवल नियोगी (Ujjwal Neogi) और उनकी टीम यह जानने की कोशिश कर रही है कि जब शरीर पर कोई वायरस अटैक करता है तो हमारा शरीर कैसी प्रतिक्रिया देता है। वह यह समझने की भी कोशिश कर रहे हैं कि कैसे कोविड-19 वायरस खुद को फैलाने के लिए कोशिकाओं के तंत्र को हाईजैक करता है। उनका ग्रुप स्वीडन के उन चुनिंदा समूह में शामिल है, जिन्होंने महामारी की शुरुआत में ही कोरोना वायरस को लेकर शोध शुरू कर दिया था।
नियोगी ने कहा, 'भविष्य की महामारियों को रोकना असंभव होगा। लेकिन अब हमारे पास SARS-CoV-2 का अनुभव है। हमने महसूस किया कि भविष्य की महामारी की तैयारी का सबसे अच्छा तरीका जागरुकता है। फिलहाल कोरोना महामारी को रोकने का एकमात्र तरीका तीव्र गति से टीकाकरण है। यह सच है कि महामारी हमेशा खत्म होती है, लेकिन कोविड-19 मुक्त दुनिया को देखने में समय लगेगा।"