भारत की पौराणिक नगरी वाराणसी में देश का पहला रोपवे ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनने जा रहा है। वाराणसी शहर जल्द ही सार्वजनिक परिवहन के तौर पर रोपवे का उपयोग करने वाला पहला भारतीय शहर भी होगा। वाराणसी भारत की पौराणिक नगरी है। इस नगरी को 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि नामों से भी जाना जाता है। यह शहर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। इसके शुरू होने से भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन जाएगा, जहां परिवहन प्रणाली के लिए रोपवे का इस्तेमाल हो रहा है।
वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सार्वजनिक परिवहन के लिए रोपवे बनाने वाला भारत देश बोलीविया और मैक्सिको सिटी के बाद दुनिया का तीसरा देश होगा। वाराणसी में रोपवे कैंट रेलवे स्टेशन (वाराणसी जंक्शन) से चर्च स्क्वायर तक बनने की योजना है, जिसके बाद पर्यटकों को यहां ट्रैफिक जाम में फंसना नहीं पड़ेगा।
रोपवे सेवा वाराणसी शहर में हवाई रूप से 4.2 किमी की दूरी तय करेगी। रोपवे पर करीब 220 केबल कारें चलेंगी। गेटवे आफ ईस्टर्न इंडिया कहा जाने वाला वाराणसी में 424 करोड़ रुपये की लागत से रोपवे सेवा को तैयार किया जाएगा। यह एक पायलट परियोजना होगी जिसका कुल खर्च उत्तरप्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के बीच 20:80 के अनुपात से विभाजित होगा।