दुनिया में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जिसे ट्रैवलिंग और शॉपिंग पसंद न हो। वहीं, बाजार में बिकने वाली चीजें और पर्यटन स्थल के मनोरम दृश्य लोगों को लुभाते तो खूब हैं लेकिन बजट पर कई बार भारी भी पड़ जाते हैं और ऐसे में लोग ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी यानी ओटीए और इ-कॉमर्स वेबसाइट के ऑफर का इंतजार करते रहते हैं। यह तो कमोबेश सभी की स्थिति है लेकिन अगर आप विदेश में रह रहे प्रवासी गुजराती हैं और कोविड संकट के बाद अपने गृह राज्य का दर्शन करना चाहते हैं तो आपको इन ऑफर्स के चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप गुजरात से ताल्लुक रखते ही गुजरात कार्ड के हकदार बन जाते हैं जो ट्रैवलिंग से लेकर शॉपिंग तक आपके बड़े खर्चे बचाती है। बस आपको इसके लिए करनी पड़ेगी थोड़ी मेहनत, यानी कार्ड बनाने के लिए रजिस्ट्रेशन पूरा करना।
भारत आने वाले गुजरातियों की यह इच्छा रहती है कि जब वह वतन लौटें तो कम से सोमनाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, अक्षरधाम, सन टेम्पल, गिर राष्ट्रीय उद्यान और कुछ वर्ष पहले बनाए गए स्टैचू ऑफ यूनिटी के दर्शन जरूर करें। जब होटल और रेस्तरां के किराए में छूट मिल रही हो तो फिर यह सफर और भी मजेदार बन जाता है।

होटल से लेकर हॉस्पिटल तक छूट
गुजरात कार्ड का होना भी कार्ड धारक के प्रवासी गुजराती (एनआरजी) होने का प्रमाण होता है।यह कार्ड भारत के किसी भी कोने में रहने वाले और विदेश में बसे गुजराती मूल के नागरिकों को मिलने वाली विशेष सुविधा है। गुजरात कार्ड रखने वालों को 'मूल्य संबंधी विशेषाधिकार' दिए गए हैं यानी अस्पताल, होटल, जूलरी शॉप, रेस्तरां, बैंकिंग, रियल सेक्टर , हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट स्टोर पर उन्हें औरों के मुकाबलें जेबें कम ढीली करनी पड़ती हैं।

जानें, कैसे उठा सकते हैं इसका फायदा
चूंकि यह गुजरात से जुड़ा है तो आपको गुजरात सरकार के एनआरआई डिविजन से संपर्क करना पड़ेगा। पहले यह सुविधा ऑफलाइन थी जिसकी वजह ज्यादा एनआरआई लाभान्वित नहीं हो पा रहे थे, लेकिन विदेश में प्रवासी गुजरातियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 2018 से यह सुविधा ऑनलाइन कर दी गई है। राज्य के एनआरआई डिविजन के होम पेज पर अभी रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल भी ओपन है।
एनआरआई डिविजन के मुताबिक, किसी एनआरआई को आवेदन करने के लिए अपने पासपोर्ट का पहला और आखिरी पेज, पासपोर्ट साइज फोटो, पता और आवेदक का हस्ताक्षर अपलोड करना होगा। इसके अलावा महज 350 रुपये एक छोटा सी फीस जमा करनी होगी।