गुजरात व इन राज्यों के छात्र वीजा पर ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों का प्रतिबंध
ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने फर्जी वीजा आवेदनों में वृद्धि को देखते हुए कुछ भारतीय छात्रों की भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया है। विक्टोरिया में फेडरेशन यूनिवर्सिटी और न्यू साउथ वेल्स में वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ने पिछले हफ्ते शिक्षा एजेंटों को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि वे अब पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर के छात्रों की भर्ती न करे।
Energising 🇮🇳-🇦🇺 Comprehensive Strategic Partnership.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) May 24, 2023
PM @narendramodi held bilateral meeting with PM @AlboMP in Sydney.
Agenda covered broad range of issues including cooperation in areas of trade & investment, defence & security, renewable energy, green hydrogen, critical… pic.twitter.com/81Sa8uhSEQ
ये जानकारी ऑस्ट्रेलिया के एक जाने-माने समाचार पत्र ने दी है। यह खबर ऐसे वक्त में आ रही है जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं। आज दोनों देशों ने छात्रों, स्नातकों, शोधकर्ताओं और व्यवसायियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए हैं।
फेडरेशन यूनिवर्सिटी ने एजेंटों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि गृह मामलों के विभाग द्वारा कुछ भारतीय क्षेत्रों के छात्रों के वीजा आवेदनों को खारिज किया गया है और इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हमारा मानना था कि यह मुद्दा अल्पकालिक होगा लेकिन ऐसे मामले तेजी से उभर रहे हैं।
बता दें कि पिछले महीने विक्टोरिया विश्वविद्यालय, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय, टॉरेंस विश्वविद्यालय, और दक्षिणी क्रॉस विश्वविद्यालय सहित ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने कुछ भारतीय राज्यों के छात्रों पर प्रतिबंध लगा दिया था जो अध्ययन की बजाय काम के लिए ऑस्ट्रेलिया आए थे।
वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय ने कहा कि प्रतिबंध कम से कम दो महीने मई और जून 2023 तक लागू रहेगा। इन क्षेत्रों से विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले गैर-वास्तविक छात्रों के मुद्दे को हल करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाएंगे, जिसमें आवेदन स्क्रीनिंग में बदलाव, सख्त प्रवेश और प्रारंभिक शुल्क में वृद्धि शामिल है।
द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार भारत के चार में से एक आवेदन को अब गृह विभाग द्वारा फ्रॉड या गैर-वास्तविक माना जा रहा है। बता दें कि 2019 में सर्वाधिक 75,000 भारतीय छात्रों के नामांकन के बाद यह आंकड़ा इस वर्ष पार होता दिखाई दे रहा है। हालांकि दूसरी ओर आवेदनों की अस्वीकृति दर भी 24.3 प्रतिशत है जो 2012 के बाद से सबसे अधिक है।
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